किशनगंज जिला के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक एवं सामाजिक-आर्थिक दस्तावेज ‘गजेटियर’ के प्रारूप प्रकाशन की प्रक्रिया का विधिवत शुभारंभ किया गया। इस संदर्भ में संयुक्त निदेशक, आईएचडी एवं सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. श्रीरंजन की अध्यक्षता में जिला गजेटियर प्रारूप प्रकाशन समिति की पहली बैठक महानंदा सभागार, समाहरणालय में आयोजित की गई। बैठक में जिला पदाधिकारी विशाल राज समेत अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में संयुक्त निदेशक, आईएचडी डॉ. श्रीरंजन ने बताया कि गजेटियर का प्रारूप प्रकाशन पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया, सहरसा, सुपौल एवं मधेपुरा में एक साथ किया जाएगा। किशनगंज जिला के लिए यह गजेटियर पहली बार तैयार किया जा रहा है, जो जिले के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं पर्यावरणीय पहलुओं का सजीव दस्तावेज होगा।
किशनगंज गजेटियर की विशेषताएं:
जिले के भूगोल, जनसांख्यिकी, संस्कृति, सामाजिक जीवन, अर्थव्यवस्था, कृषि, ऐतिहासिक स्थलों, जल संसाधन, धार्मिक स्थलों, कला एवं विरासत का सम्यक आकलन किया जाएगा।
1960 के बाद जिले में हुए परिवर्तनों और विकास यात्रा को विशेष रूप से समाहित किया जाएगा।
किशनगंज के औद्योगिक संभावनाओं, पर्यटन स्थलों एवं निवेशकों हेतु प्रमुख जानकारियों को प्रमुखता दी जाएगी।
जिले में गंगा-जमुनी तहजीब, चाय, मक्का, स्ट्रॉबेरी, अनानास आदि की कृषि उपलब्धियों को भी सम्मिलित किया जाएगा।
सांस्कृतिक, सामाजिक एवं मौखिक इतिहास (Oral History) को भी साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
डॉ. श्रीरंजन ने बताया कि 6 माह के भीतर प्रथम ड्राफ्ट तैयार कर जिला प्रशासन को प्रस्तुत किया जाएगा। उसके पश्चात सुझावों के आधार पर संशोधन कर 1 वर्ष में अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि टीम किशनगंज में रहकर स्थानीय लोगों, समाजसेवियों, कलाकारों, विभिन्न विभागों एवं विशेषज्ञों से जानकारी एकत्रित करेगी।
बैठक में जिला पदाधिकारी विशाल राज ने सभी विभागों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने विभाग से संबंधित अद्यतन एवं प्रमाणिक आंकड़े शीघ्र गजेटियर समिति को उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि किशनगंज जिला का यह पहला गजेटियर एक ऐतिहासिक एवं शोधपरक दस्तावेज होगा, जिसे भविष्य के नीति निर्धारण एवं अकादमिक शोध में उपयोग किया जाएगा।
बैठक में प्रोफेसर सजल प्रसाद, फरजाना बेगम (एडवोकेट एवं समाजसेवी), मिक्की साह (महासचिव, रेड क्रॉस), सुखसागर नाथ सिन्हा (अध्यक्ष, प्रेस क्लब) सहित अन्य अतिथियों ने किशनगंज जिले के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विशेषताओं पर अपने सुझाव एवं जानकारियां साझा कीं। उन्होंने संथाल परगना, सुरजापुरी भाषा, चकला गांव का इतिहास, चावल का भक्का, किशनगंज के गठन के लिए 8 वर्षों तक चले जन आंदोलन, जिले में SSB एवं BSF की भूमिका, आईपीएल के तर्ज पर किशनगंज प्रीमियर लीग, क्राइम डेटा, एवं किशनगंज के नामकरण से संबंधित जानकारियों को साझा किया।
डॉ. श्रीरंजन ने यह भी बताया कि किशनगंज से संबंधित यदि कोई अन्य व्यक्ति या संस्थान ऐतिहासिक या सांस्कृतिक तथ्य साझा करना चाहता है तो अगले तीन दिनों तक उनकी टीम को जानकारी दी जा सकती है। सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का संग्रहण कर अंतिम निष्कर्ष प्रकाशित किया जाएगा।
बैठक में एडीएम अमरेन्द्र कुमार पंकज, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी संदीप कुमार, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी कुंदन कुमार सिंह सहित विभिन्न जिला स्तरीय पदाधिकारी एवं संबंधित विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
जिला गजेटियर प्रारूप प्रकाशन समिति में डॉ. अश्विनी कुमार (एसोसिएट फेलो, आईएचडी), डॉ. मुबारक अली (फैकल्टी, आईएचडी), श्री आदर्श कुमार (सीनियर रिसर्च एसोसिएट, रांची), डॉ. रविशंकर (फैकल्टी, आईएचडी), सनी कुमार (आईएचडी, पटना) सहित अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं।
किशनगंज जिला गजेटियर एक प्रमाणिक एवं उपयोगी दस्तावेज बने, इस हेतु सभी विभागों, समाजसेवियों एवं नागरिकों का सहयोग अपेक्षित है।