नेपाल में बारिश का असर: दिघलबैंक में बूढ़ी कनकई नदी उफान पर, पलसा घाट के किसानों की मक्के की फसल तबाह, चचरी पुल बहा

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दिघलबैंक (किशनगंज) मो अजमल

दिघलबैंक प्रखंड में देर रात आई प्राकृतिक आपदा ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। नेपाल के तराई क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते शुक्रवार देर रात बूढ़ी कनकई नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया। इससे पलसा घाट, बिहारटोला, भुरलीभिट्ठा और पांचगाछी समेत दर्जनों गांवों के खेतों में पानी घुस गया, जिससे लाखों रुपये की मक्के की फसल बर्बाद हो गई।

किसानों की आपबीती

पलसा घाट के प्रभावित किसान प्रकाश सोरेन, देनिरव सोरेन, सम्भू सोरेन और नरेश मुर्मू ने बताया कि सुबह लगभग 4 बजे उन्हें जानकारी मिली कि नदी का पानी खेतों में घुस चुका है। सभी किसान अपने परिवार के साथ खेतों की ओर दौड़े। कुछ ने मक्के की बालियां किसी तरह उठा लीं, लेकिन अधिकांश फसल तेज बहाव में बह गई।

प्रकाश सोरेन बताते हैं, “हमने मेहनत से फसल तैयार की थी, लेकिन रातोंरात सब कुछ बर्बाद हो गया।”

चचरी पुल बहा, आवाजाही ठप

तेज बहाव के चलते पलसा घाट पर बना चचरी पुल भी बह गया, जिससे ग्रामीणों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह पुल आसपास के कई गांवों को जोड़ने वाला प्रमुख रास्ता था।

प्रशासन की कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही दिघलबैंक अंचलाधिकारी गरिमा गीतिका और राजस्व अधिकारी मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। सीओ गरिमा गीतिका ने ग्रामीणों से अपील की कि वे नदी किनारे मक्के को न सुखाएं और बच्चों को नदी से दूर रखें, ताकि किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने प्रशासन से फसल क्षति का मुआवजा देने की मांग की है और जल्द से जल्द चचरी पुल के पुनर्निर्माण की अपील की है।

बाढ़ से पहले ही बर्बादी की आहट

गौरतलब है कि मॉनसून की आमद से पहले ही कनकई, बूढ़ी कनकई और मेची नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है, जो इस बार समय से पहले बाढ़ जैसे हालात की चेतावनी है।

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