थैलीसीमिया से हारने की नही, हराने की जरुरत है ,बहन ने बोन मैरो दान कर बचाई भाई की जान 

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किशनगंज ब्लड डोनर संस्था थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों के लिये है वरदान 

मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में हुआ हर्षवर्धन का इलाज : भावेश जालान 

किशनगंज /राजेश दुबे

किशनगंज बिहार का एक ऐसा जिला जहाँ थैलीसीमिया के लगभग 80 बच्चे है।।इस थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों को हर महिने इस रोग से लड़ने के लिये रक्त की आवश्यकता होती है।आप कह सकते है की इन 80 बच्चे की जिन्दगी आपके हमारे रक्तदान पर निर्भर है।गौरतलब हो कि बिहार मे लगभग 3500 से 4000 बच्चे इस रोग से ग्रसित है।

उन्हीं थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों में से एक को नया जीवन मिला है ।मालूम हो की किशनगंज ब्लड डोनर्स संस्था के प्रायस से पटना में माँ वैष्णो देवी सेवा संस्थान एवं अन्य संस्थाओं द्वारा बीते वर्ष आयोजित जांच शिविर में किशनगंज के चार बच्चे बोन मैरो में सफल हुए थे। जिसमें से एक बच्चे हर्षवर्धन को उसकी बहन सानवी ने अपना बोन मैरो दान करके जीवनदान दिया।यह बोनमेरो ट्रांसप्लांट मुम्बई के कोकिलाबेन अस्पताल में हुआ ।अब इस बच्चों को ब्लड चढाने के दर्द से मुक्ति मिल गयी। ब्लड डोनर्स संस्था के अध्यक्ष भावेश जालान ने बताया कि एक लम्बा समय अस्पताल मे व्यतीत करके बच्चे  सकुशल अपने घर बहादुरगंज लौट आये है।उन्होंने कहा कि माता पिता के चेहरे की मुस्कान यह बता रही थी ये जंग भी किसी अन्य जंग से कम नही थी।सफल ऑपरेशन के बाद हर्षवर्धन के माता पिता किशनगंज ब्लड डोनर्स संस्था और मां वैष्णो देवी संस्था का आभार जताया है।

किशनगंज ब्लड डोनर के संस्थापक भवेश जलान बताते है बोन मैरो ट्रासप्लांट कराने मे लगभग 25से 30लाख खर्च आता है।यह खर्च बिहार सरकार,केन्द्र सरकार और कोल इंण्डिया द्वारा वहन किया जाता है।बिहार मे केम्प लगाकार बच्चों के जीवन को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिये माँ ब्लड बैंक के संस्थापक मुकेश हिसारिया  का अहम योगदान है।किशनगंज ब्लड डोनर संस्था ने किशनगंज में 80 बच्चों को गोद लिया है।इन सभी बच्चों की जिन्दगी रक्तदाताओ के रक्तदान से बचती है।उन्होंने कहा कि हमसब को थैलीसीमिया से लडने की और इसे हराने की जरुरत है।एक जागरुक वर वधु द्वारा इसे रोका जा सकता है।।जागरूकता ही थैलीसीमिया को जड से खत्म करने का एक मात्र उपाय है।।

थैलीसीमिया से हारने की नही, हराने की जरुरत है ,बहन ने बोन मैरो दान कर बचाई भाई की जान 

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