किशनगंज /प्रतिनिधि
प्रज्ञा पीठ शिशाबाडी कोचाधामन किशनगंज की पावन धरती पर अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रखंड समन्वयक पंचानन सिंह की अध्यक्षता में वार्षिक समारोह गायत्री यज्ञ एवं संस्कार महोत्सव दिव्य वातावरण में आयोजित किया गया। आयोजक बृजमोहन सिंह की उपस्थिति में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का आगमन हुआ। हरिश्चंद्र प्रसाद सिंह की टोली द्वारा प्रज्ञा संगीत से वातावरण गुंजित हो उठा।

आमंत्रित अतिथि के रूप में वरिष्ठ प्रज्ञा पुत्र सेवानिवृत प्रधानाध्यापक श्यामानंद झा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित ने जन समूह को संबोधित करते हुए कहा ज्ञान ही मनुष्य का परम मित्र है और अज्ञान ही उसका परम शत्रु है। ज्ञानी कर्म में लिप्त और आसक्त नहीं होता वरन् तटस्थ निस्पृह निष्काम भाव से अपने कर्म में लगा रहता है। इसीलिए वह कर्म बंधनों से मुक्त हो जाता है। ज्ञान जीवन के सत्य का दर्शन ही नहीं करता वरन वह मनुष्यों को बोलना व्यवहार करना भी सिखाता है। ज्ञानी मनुष्य के लिए यह संसार स्वर्ग है।

वह जहां भी रहता है वहां स्वर्गिक वातावरण का सृजन कर लेता है। धर्म के तीन स्कंध हैं यज्ञ स्वाध्याय और दान। जीवन की दिशा निर्धारित करने की क्षमता ना तो धन में है ना पद और प्रतिष्ठा में। आत्म निर्माण की प्रक्रिया सत्कर्मों से पूरी होती है। विज्ञान का फल है इह लौकिक कामना पूर्ति और ज्ञान का संबंध है अंतर जगत से। ज्ञान वह है जो मनुष्य को आत्म दर्शन में लगाये। आत:नियमित गायत्री मंत्र की उपासना साधना और आराधना करने की आवश्यकता है। वन्दनीय माताजी भगवती देवी शर्मा अखिल विश्व गायत्री परिवार की संरक्षिका की शताब्दी समारोह 2026 में होने की तैयारी के संबंध में विशद चर्चा की गई।
कार्यक्रम की सफलता के लिए बृजमोहन सिंह राजेंद्र सिंह पंचानन सिंहा सीता देवी कौशल्या देवी अंजू झा उमेश प्रसाद सिंह ब्रह्मदेव यादव रेणु देवी रघुनाथ सिंह साबू लाल सिंह चंद्र मोहन सिंह कुसुम लाल सिंह राजेंद्र दास सिप्टी प्रसाद सिंह वीणादेवी चेतनारायण सिंह आदि भावना शील परिजनों का योगदान सराहनीय रहा।