मेरा …..उखाड़ लो

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कुमार राहुल

उखाड़ दिया ” बीएमसी का हथोड़ा चला! मुंबई के “सामना” दैनिक अखबार की हेडलाइन- कंगना रनौत ,की पाली हिल वाले ऑफिस को पूरी तरह से ध्वस्त करने के बाद छपी !कंगना रनौत ने चैलेंज किया था, मैं आ रही हूं, जो उखाड़ना है ,उखाड़ लो! असहमति के विरोध में आवाज उठाने की कीमत, कंगना को करोड़ों के नुकसान कर चुकानी पड़ी!

खास बात यह है कि बीएमसी को 54000 अवैध निर्माण के कंप्लेन मिले ,उसमें से केवल 4000 पर ही कार्रवाई हुई। लेकिन कंगना पर कार्रवाई एक बदले की कार्रवाई जैसी प्रतीत होती है ।

क्योंकि दाऊद के एक अवैध घर को गिराने के लिए आज तक शिवसेना को इतने लोग नहीं मिले ,कि उस घर को गिराया जा सके। कुछ पूर्व शिवसैनिकों के अनुसार उद्धव ठाकरे कई बार कह चुके हैं, कि उनके संबंध दाऊद से बहुत अच्छे हैं ।दशकों से “हफ्ता वसूल” पार्टी के नाम से मशहूर रही, शिवसेना एक ओर हिंदुत्व का झंडा बुलंद करती है, दूसरी ओर गुंडागर्दी का नमूना रोज पेश करती है।

मदन शर्मा( पूर्व नेवी अधिकारी) की जमकर धुलाई शिवसैनिकों ने की! जुर्म बस इतना था, कि एक कार्टून मैसेज जो कि मदन शर्मा ने नहीं बनाया था ) फॉरवर्ड कर दिया था, इस मामले की आलोचना हुई, तो शिवसैनिक चंद घंटों के लिए गिरफ्तार भी हुए ,और फिर छूट भी गए।

विवादित कार्टून

क्योंकि सत्ता में काबिज खुद शिवसेना है ।14 जून 2020 से मीडिया में अगस्त तक सुशांत और रिया चक्रवर्ती का राज रहा ,अब कंगना रनौत मैदान में है । जो तू -तड़ाक से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को खुला चैलेंज कर रही है!

महाराष्ट्र आरपीआई पार्टी और बीजेपी कंगना का खूब साथ दे रही है ,कल कंगना ने सोनिया गांधी पर भी हमला बोल दिया। क्या बीजेपी कंगना के रूप में एक नेत्री को राजनीतिक मैदान में उतारने की तैयारी में है। जैसे स्वाति सिंह( मिनिस्टर ऑफ स्टेट हुमन वेलफेयर, उत्तर प्रदेश सरकार ) अपने पति दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी के खिलाफ मोर्चा खोला, मायावती को खुली चुनौती दी ,स्वाति सिंह एकाएक उत्तर प्रदेश की महिला मोर्चा की अध्यक्ष बना दी गई।

फिर बाद में योगी सरकार में मिनिस्टर । कंगना मामले में भी फार्मूला बिल्कुल वैसा ही लग रहा है ।उद्धव ठाकरे के विरुद्ध माहौल बनाकर, सरकार को अस्थिर करना, और फिर शाम दाम दंड भेद से सत्ता हथिया लेना !जैसा कि बीजेपी ने पहले भी कई राज्यों में कर दिखाया है। लेकिन बिहार में तो 15 साल से एनडीए का ही शासन है और बीजेपी उसमें भागीदार है ।

इस बार तो विपक्ष भी कमजोर है, तो फिर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बिहार में आकर कहना, सुशांत केवल बिहार का बेटा नहीं, बल्कि पूरे भारत का बेटा है। फिर बीजेपी द्वारा पूरे बिहार में पोस्टर लगाना (सुशांत की फोटो के साथ) ‘ ना भूले हैं ,ना भूलेंगे’। मतलब साफ है बीजेपी सुशांत, केस और कंगना के माध्यम से एक साथ दो प्रदेशों पर निशाना साधना चाहती है। इसलिए शायद कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह का कहना है बीजेपी सुशांत केस का राजनीतिक उपयोग कर रही है । जिससे लोग ये भूल जाएं,कि पीएम मोदी ने पिछले चुनाव में बिहार वासियों को सवा लाख करोड़ पैकेज देने का वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ।

बिहार चुनाव नजदीक है, विकास नौकरी और उद्योग के बदले … मुद्दा सुशांत केस, रिया चक्रवर्ती और कंगना है और सभी पार्टियां बिहार की जनता को इन्हीं मुद्दों में उलझाकर चुनाव जीत लेना चाहती है ! कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी कहते हैं ,कि बंगाल की एक ब्राह्मण बेटी को बेवजह सुशांत केस में फसाया जा रहा है । मतलब साफ है ,कि कांग्रेस बिहार में ब्राह्मण कार्ड खेलना चाह रही है ।

जनता दल यू के प्रवक्ता कहते हैं कांग्रेस कंगना के ऑफिस को ढहाए जाने के मामले में चुप्पी साधे बैठी है। पूर्व बीजेपी के नेता यशवंत सिन्हा का कहना है कि बीजेपी और जदयू लाश पर राजनीति कर रही है !पप्पू यादव इस मामले में आंसू बहा कर एक.दो सीट जीतने की फिराक में है ।

नीतीश कुमार..शायद. विकास की बात भूल गए है अभी हाल में हुए वर्चुअल रैली में उन्होंने भी ऐश्वर्या और तेज प्रताप के संबंधों के बारे में ही जिक्र किया.! बीजेपी के ही उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि पीएम मोदी चुनाव में बीजेपी की पूरी फौज को भेजना शुरू कर दिया है!

वे लोग ना कोरोना कि बात करते हैं, ना अस्पताल की बात करते हैं ,हर साल आने वाली बाढ़ कभी चुनावी मुद्दा रहा ही नहीं। प्रवासी मजदूर और पलायन भी खानापूर्ति तक सीमित है। और इंडस्ट्रीज तो बिहार के नसीब में है ही नहीं ।इसलिए मनोरंजन करने वाले लोग बिहार चुनाव में छाए हुए हैं ।

कोरोना ,लॉकडाउन, बेरोजगारी ,बदहाली से लोगों के पांव उखड़ गए हैं उसकी परवाह किसी को नहीं है। लेकिन कंगना की ऑफिस को शिवसेना वालों ने उखाड़ दिया,तो राष्ट्रीय मुद्दा बना। कंगना हीरोइन है 1 ,2 हिट फिल्म की कमाई से ,वैसी ऑफिस फिर बन जाएगी।

लेकिन राजनीतिक पार्टी इन्हीं मुद्दों में बिहार की जनता को उलझा कर चुनाव करवा लेगी। लेकिन क्या बिहार की जनता की नौकरी ,इंडस्ट्रीज ,अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था ,बाढ़ से निजात ,यह मुद्दे धरे के धरे रह जाएंगे। सोचना आपको है, आपके चुनावी मुद्दे क्या होने चाहिए। और आपको किन बातों में उलझाया जा रहा है। कहीं आप को इन मुद्दों से उखाड़कर फेक तो नहीं दिया जा रहा है?

मेरा …..उखाड़ लो

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