किशनगंज/प्रतिनिधि
उर्दू काउंसिल हिंद, जिला किशनगंज समिति के द्वारा ज़िला अधिकारी किशनगंज के माध्यम से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए तुरंत और ठोस क़दम उठाने की मांग की गई है।
ज्ञापन में कहा गया है कि बिहार की दूसरी राजभाषा होने के बावजूद उर्दू भाषा गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है। इन समस्याओं के कारण न केवल उर्दू बोलने वाले छात्रों और लोगों की शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति प्रभावित हो रही है, बल्कि उर्दू भाषा के अस्तित्व पर भी गंभीर ख़तरा मंडरा रहा है। उर्दू भाषा के संरक्षण और इसके विकास के लिए इन समस्याओं का तुरंत समाधान आवश्यक है।
ज्ञापन में कहा गया कि मैट्रिक पाठ्यक्रम से उर्दू की अनिवार्यता को समाप्त करना उर्दू भाषा के साथ अन्याय है।मानेक मंडल में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति न होना उर्दू छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है।आगे कहा गया की
उर्दू टीईटी के 12 हज़ार अभ्यर्थियों के परिणाम पिछले दस वर्षों से जारी न करना अस्वीकार्य है।उर्दू अनुवादकों और सहायक अनुवादकों के 1200 से अधिक रिक्त पदों पर बहाली न करना उर्दू के विकास में बाधा है।उर्दू स्कूलों में उर्दू की किताबों की अनुपलब्धता छात्रों के लिए कठिनाई पैदा कर रही है।
उर्दू स्कूलों को हिंदी स्कूलों में बदलना उर्दू भाषा के अस्तित्व के लिए ख़तरनाक है।
बिहार उर्दू अकादमी, उर्दू परामर्श समिति, अल्पसंख्यक आयोग और मदरसा एजुकेशन बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों के पदों का पुनर्गठन न करना अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन है।
उर्दू अख़बारों को विज्ञापनों में हिंदी के बराबर भागीदारी न देना उर्दू मीडिया के साथ अन्याय है।बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में उर्दू विभाग स्थापित न करना उर्दू शिक्षा के विकास में बड़ी बाधा है।उर्दू स्कूलों और मदरसों की छुट्टियों में अनावश्यक बदलाव करना चिंता का विषय है।
उर्दू काउंसिल हिंद ने इन सभी समस्याओं पर तुरंत ध्यान देने और उर्दू भाषा के संरक्षण के लिए ठोस और प्रभावी क़दम उठाने की अपील की गई है।
प्रतिनिधिमंडल में मौलाना आफ़ताब अज़हर सिद्दीकी (नाज़िम ए आला, उर्दू काउंसिल हिंद, जिला किशनगंज), मौलाना साजिद नदवी (सचिव, उर्दू काउंसिल किशनगंज), मौलाना शमीम रियाज़ नदवी (प्रेरक, मजलिस ए उलमा ए मिल्लत), मौलाना आसिफ क़ासमी (सदस्य, मजलिस ए उलमा ए मिल्लत), मौलाना अब्दुल वकील क़ासमी (प्रधान अध्यापक, मदरसा अनवारुल क़ुरआन, अराबाड़ी)सहित अन्य लोग मौजूद थे।