लखनऊ में बुधवार को ‘सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों में परिवर्तन’ थीम के तहत पहला संयुक्त कमांडर सम्मेलन (जेसीसी) शुरू हुआ। यह सम्मेलन भारत के सैन्य बलों को बदलते परिचालन परिवेश के अनुकूल बनाने के लिए भविष्य की रणनीति बनाने पर केंद्रित है। रक्षा मंत्री और सशस्त्र बलों के शीर्ष पदों के अधिकारियों के सम्मेलन का नेतृत्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने किया। उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी भी उपस्थित थे।
वर्तमान सुरक्षा स्थिति और सशस्त्र बलों की रक्षा तैयारियों की समीक्षा करते हुए, सीडीएस ने विभिन्न क्षेत्रों में एकीकरण को बढ़ाने के लिए संयुक्तता एवं भविष्य की योजनाओं के महत्व पर जोर दिया, जो भविष्य के युद्ध की रूपरेखा के अनुकूल होने और प्रभाव आधारित अभियानों के संचालन के लिए महत्वपूर्ण है। जनरल अनिल चौहान ने एकीकरण के लिए रोडमैप के साथ कई उपाय शुरुआत करने के लिए तीनों सेनाओं की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक कदम दर कदम प्रक्रिया थी, जिसकी शुरुआत क्रॉस सर्विस कोऑपरेशन से हुई और फिर ‘संयुक्त संस्कृति’ की ओर अग्रसर हुई तथा अंत में संयुक्त अभियानों के संचालन के लिए बलों का एकीकरण हुआ।
विचार-विमर्श में निर्णय लेने की सुविधा के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचे के साथ कमांड और कंट्रोल सेंटर स्थापित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। जनरल चौहान ने उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए परिचालन संबंधी तैयारियों की आवश्यकता पर जोर दिया, आधुनिकीकरण की जरूरत को रेखांकित किया ताकि तत्पर और प्रासंगिक बने रहें तथा रणनीतिक स्वायत्तता प्राप्त कर सकें।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ,सिंह, सम्मेलन के दूसरे दिन भाग लेंगे, जहां वे रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और भारतीय सशस्त्र बलों के शीर्ष नेतृत्व के साथ विचार विमर्श करेंगे ।