किशनगंज/पोठिया/इरफान
भारत में बाल विवाह के खात्मे में कानूनी कार्रवाइयों और अभियोजन की अहम भूमिका को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बिहार के किशनगंज के गैरसरकारी संगठन जन निर्माण केंद्र ने कहा कि कानूनी कार्रवाइयां और कानूनी हस्तक्षेप 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल करने की कुंजी हैं और उसने वर्ष 2023 -24 के दौरान किशनगंज में 156 बाल विवाह रुकवाए हैं। ‘टूवार्ड्स जस्टिस : इंडिंग चाइल्ड मैरेज’ शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की शोध टीम ने तैयार की है।
जन निर्माण केंद्र और चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहे बाल विवाह मुक्त भारत के सहयोगी संगठन के तौर पर साथ हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे -5 के अनुसार किशनगंज में बाल विवाह की दर 36.6 थी जबकि राष्ट्रीय औसत 23.3 है।
संगठन ने सरकार से अपील की कि वह अपराधियों को सजा सुनिश्चित करे ताकि बाल विवाह के खिलाफ लोगों में कानून का भय पैदा हो सके।
आइसीपी की रिपोर्ट ‘टूवार्ड्स जस्टिस : इंडिंग चाइल्ड मैरेज’ बाल विवाह के खात्मे के लिए न्यायिक तंत्र द्वारा पूरे देश में फौरी कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। रिपोर्ट के अनुसार 2022 में देश भर में बाल विवाह के कुल 3,563 मामले दर्ज हुए, जिसमें सिर्फ 181 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा हुआ। यानी लंबित मामलों की दर 92 प्रतिशत है। मौजूदा दर के हिसाब से इन 3,365 मामलों के निपटारे में 19 साल का समय लगेगा।