किशनगंज /रणविजय
भारतीय संसद से पारित तीन नए आपराधिक कानून 01 जुलाई 2024 से देश में लागू हो चुका है, जिसके ब्रीफिंग को लेकर सोमवार को जिले के सभी थानों में पुलिस पदाधिकारियों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों, नागरिकों और पत्रकारों की बैठक आयोजित की गई है।
ठाकुरगंज पुलिस सर्कल के अंतर्गत पौआखाली, जियापोखर और सुखानी थाना में भी थानाध्यक्ष क्रमशः आशुतोष कुमार मिश्रा, विकास कुमार और धरमपाल कुमार ने तीनों नए आपराधिक कानून में लाये गए बदलाव पर चर्चा करते हुए यह जानकारी दी है, कि अब कानून में भारतीय दण्ड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 ले चुका है तथा एक जुलाई 2024 से आईपीसी सीआरपीसी एवम इंडियन एविडेंस एक्ट में शामिल तीनों नए आपराधिक कानून पूर्व में अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा बनाए गए दंड कानून के बदले अब पूरी तरह से न्याय पर केंद्रित है जो प्रभावी ढंग से लागू हो चुका है।
नए कानून में नागरिक केंद्रित कानून, न्याय प्रणाली में टेक्नोलॉजी पर जोर, महिलाए और बच्चे, अपराध और दंड को नए तरीके से किया गया परिभाषित, त्वरित न्याय, अपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव, पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता तथा एनसीआरबी मोबाइल ऐप शामिल हैं। अब इन बदलावों के तहत डिजिटल तौर पर एफआईआर,नोटिस, समन,ट्रायल,रिकॉर्ड, फॉरेंसिक,केस डायरी,एवम बयान आदि को संग्रहित किया जाएगा। अब किसी भी व्यक्ति या स्थल में तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी के लिए मामले के अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप और मोबाइल उपलब्ध कराये जाएंगे। थानों में नए उपकरणों के साथ आधुनिकीकरण किया जा रहा है अब थानों में वर्क स्टेशन, डाटा सेंटर तथा अनुसंधान हॉल, रिकॉर्ड रूम और पूछताछ कक्ष का भी जल्द निर्माण होगा। नए आपराधिक कानून को नागरिक केंद्रित बनाने की दिशा में यह एक बड़ी पहल है।
कानून में इन तब्दीलियों के कारण अब नागरिक घटना स्थल या किसी भी स्थान से एफआईआर दर्ज करा सकते हैं, पीड़ित व्यक्ति एफआईआर की प्रति निशुल्क प्राप्त करने का हकदार है और पुलिस द्वारा पीड़ित व्यक्ति को 90 दिनो के अंदर जांच की प्रगति रिपोर्ट के बारे में सूचित करना अनिवार्य है। महिला अपराध में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जांच की जाएगी साथ ही सात दिनों के अंदर चिकित्सक को भी उसकी मेडिकल रिपोर्ट भेजना होगा।
महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध से निपटने के लिए नए आपराधिक कानूनों में 37 धाराओं को शामिल किया गया है। 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने पर दोषी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा मिलेगी साथ ही झूठे वादे या नकली पहचान के आधार पर यौन शोषण करना अब आपराधिक कृत्य माना जाएगा।
छीनाछपटी गंभीर अपराध की श्रेणी में है जो गैर जमानती अपराध है। वहीं भारत की एकता अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा व आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने या किसी समूह में आतंक फैलाने के लिए किए गए कृत्यों को आतंकवादी गतिविधि मानी जाएगी और ऐसे में अब राजद्रोह की जगह देशद्रोह शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। मॉब लिंचिंग करने पर अब दोषियों को मृत्युदंड की सजा मिलेगी। एक तय सीमा के अंदर न्याय दिलाने के लिए बीएनएस में 45 धाराओं को जोड़ा गया है मामलों की सुनवाई शुरू होने से 60 दिनो के अंदर आरोप तय किए जाएंगे और 90 दिन बाद घोषित अपराधियों की अनुपस्थिति में भी कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
आपराधिक न्याय प्रणाली यानी क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में भी बदलाव किए गए हैं इसके तहत अब मजिस्ट्रेट को तीन वर्ष तक के कारावास की सजा वाले मामलों में समरी ट्रायल करने का अधिकार है।अब न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई समापन के बाद निर्णय की घोषणा में 45 दिनों से अधिक का समय नहीं लगेगा। विचाराधीन कैदियों की रिहाई में पहली बार अपराध करने वाले अपराधियों को रिहा किया जा सकता है अगर वे विचाराधीन हैं और हिरासत अवधि सजा की एक तिहाई तक पहुंच चुकी है।
पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए अब नए कानून के तहत कोई तीन वर्ष से कम कारावास की सजा पाए गंभीर बीमार से पीड़ित व्यक्ति या 60 वर्ष से अधिक आयु का है उनकी गिरफ्तारी के लिए अब डीएसपी रैंक के अधिकारी से पूर्व अनुमति जरूरी है। गिरफ्तारी तलाशी जब्ती और जांच मामले में पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने के लिए नए कानून में 20 से अधिक धाराओं को शामिल की गई है। थानाध्यक्षों ने जानकारी दी है