सुपौल :पूर्णाहुति के साथ श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का हुआ समापन

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छातापुर।सुपौल।सोनू कुमार भगत


छातापुर प्रखंड अंतर्गत राजेश्वरी ग्राम वार्ड नं 5 वार्ड नंबर 5 में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सप्तम दिवस के सत्र में प्रख्यात कथावाचक त्रिलोकधाम गोसपुर निवासी, अटल मिथिला सम्मान से सम्मानित मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने अद्भुत कथा सार तत्व संक्षेप रूप से श्रवण कराते हुए समस्त भागवत तत्व और भागवत धर्म के फल का निरूपण किया।

हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित होकर के भक्ति भाव के साथ कथा श्रवण कर रहे हैं। इस भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के मुख्य यजमान कुलानंद मिश्र धर्मपत्नी वीणा देवी पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किए हैं । सप्तम दिवस की कथा के अंतर्गत उन्होंने कथा के सार तत्व को बताते हुए बताया कि भगवान कृष्ण की भक्ति के फलस्वरूप ही ब्राह्मण सुदामा जी को भगवान का दिव्य दर्शन प्राप्त हुआ और भगवान कृष्ण की कृपा से भक्ति के रस से भगवान ने महालक्ष्मी रुक्मणी जी के साथ शक्ति और ब्रह्म दोनों मिलकर के सुदामा जी को समस्त प्रकार के वैभव सुख संपदा और शांति भी प्रदान किया।

आचार्य धर्मेंद्र ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य का परम धर्म है वह भागवत कथा के भक्तों के चरित्र के माध्यम से उन्होंने समस्त संसार के प्राणियों को बताते हुए कहा कि यदि मनुष्य को माया से पार करना है माया से अलग होना है और समस्त प्रकार के संकटों से मुक्ति को प्राप्त करना है तो एकमात्र भगवान श्री कृष्ण एवं उनकी अर्धांगिनी अंतरंगा शक्ति भगवती श्री राधा की उपासना करने से ही समस्त प्रकार के वैभव सुख शांति की प्राप्ति होगी और अंत में मोक्ष की भी प्राप्ति हो जाती है।

जो सुलभता से प्राप्त होती है। संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में सातों दिवस अनेक विद्वानों के द्वारा संगीतज्ञ गांधर्व से सुसज्जित जिसमें संजय कुमार, उमेश कुमार एवं बिंदेश्वर कुमार तथा पंडित दिवाकर झा, पंडित कार्तिक, मिश्रा, पंडित बबलू मिश्रा एवं पंडित बबलू के मंत्र उच्चारण से वहां का माहौल भक्तिमय बनी हुई है। उन्होंने कहा कि जीव को सब कुछ प्राप्त होने के बाद भी जीव अपूर्ण ही रहता है लेकिन जब जीवात्मा अपना सर्वस्व उन पूर्ण ब्रह्म परमात्मा को समर्पित कर देता है तब वही परमात्मा अपने भक्तो को मनोरथों को पूर्ण कर देते हैं।

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सुपौल :पूर्णाहुति के साथ श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का हुआ समापन

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