आज़ाद भारत मे आज भी चचरी पुल को पार करने के लिए देना पड़ता है चचरी टेक्स,मेक इन इंडिया का नया रूप,इस क्षेत्र से आज भी विनोद सिंह है बिहार सरकार के केबिनेट मिनिस्टर,दुर्भाग्य 1987 में पुल टूटने के बाद भी नही मयस्सर हो सकी ग्रामीणों को दूसरी पुल, चचरी पुल की सहायता से ग्रामीण 500 मीटर की दूरी तय करने के लिए देते है चचरी टैक्स
कटिहार/ रितेश रंजन
देश में आजादी के बाद हर क्षेत्र में पुल-पुलिया और सड़कों का जाल बिछा है . लेकिन इस मामले में कटिहार के प्राणपुर विधानसभा के मदनसाही गांव से जुड़े इलाके के लोगों का किस्मत शायद रूठा हुआ है, 1987 के बाढ़ में प्राणपुर और मनसाही प्रखंड को जोड़ने वाली पुल बाढ़ में ध्वस्त हो गया था, तब से लेकर अब तक इस इलाके में पुल नहीं बनने से बड़ी आबादी को हर रोज यात्रा के लिए चचरी टैक्स देना पड़ता है ।

आजाद भारत में चचरी पुल के इस टैक्स को लेकर लोग बेहद परेशान हैं, स्थानीय युवक हुमायूं की माने तो हर बार लगभग 500 मीटर की चचरी पुल की दूरी तय करने के लिए 20 रु देना उन लोगों के लिए बेहद महंगा है, जबकि चचरी टैक्स के तहसीलदार पप्पू कुमार कहते हैं कि ग्रामीणों के मदद से लग-भग एक लाख खर्च कर यह चचरी पुल बनाया गया है और उन्हें ग्रामीणों के तरफ से ही टैक्स तासिलने के लिए रखा गया है ।
इसलिए वह लोगों से तय रुपया लेकर उन्हें बजफ्ता निजी स्तर पर रसीद भी देते हैं,फिलहाल टैक्स वसूलने वाले तहसीलदार के दलील और स्थानीय लोगों के चाचरी टैक्स को लेकर परेशानी पर अपना ही तर्क है।