Kishanganj:उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में लाखों के गबन का हुआ खुलासा,जांच में जुटी पुलिस

बेहतर न्यूज अनुभव के लिए एप डाउनलोड करें

किशनगंज /सागर चन्द्रा

उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक किशनगंज शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक व एक दलाल के द्वारा लाखों रुपये गबन करने का मामला सामने आया है। मामले का खुलासा सोमवार को उसवक्त हुआ जब ऑडिटर के द्वारा बैंक का ऑडिट किया गया। मामले को लेकर कसेरापट्टी स्थित यूबीजीबी किशनगंज शाखा के वर्तमान शाखा प्रबंधक तनबीर अहमद अंसारी के लिखित शिकायत पर टाउन थाना में तत्कालीन शाखा प्रबंधक व तथाकथित बैंक दलाल सह खाता धारक के खिलाफ केस दर्ज कर पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास पिता विनोद कुमार दास वर्धमान पश्चिम बंगाल निवासी और तथाकथित बैंक दलाल सह खाताधारी रुईधासा निवासी सोनाबाबू पिता मोहम्मद हाफिज रूईधासा खानकाह निवासी के विरुद्ध केस दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है। तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेन्द्र कुमार दास पर 5 लाख 96 हजार 732 रुपये गबन किये जाने व बैंक को 11 लाख 41 हजार 576 रुपये की हानि पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।

जानकारी के अनुसार कुछ दिनों पूर्व ही बैंक का ऑडिट किया गया था। ऑडिट करने वाले ने अपनी रिपोर्ट में खाताधारी सोनाबाबू के लेनदेन को संदेहास्पद बताते हुए रिपोर्ट पेश किया था। इसके बाद बैंक के वरीय अधिकारी के द्वारा मामले की जांच की गई। जांच में भी मामला सत्य पाया गया। जांच रिपोर्ट आने के बाद तत्कालीन शाखा प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया था। निलंबन से पूर्व तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास बारसोई बाजार शाखा में पदस्थापित थे।

जांच में यह भी पाया गया कि बैंक के द्वारा 47 लोगों को ऋण देने के बाद बदले में सिक्युरिटी के रूप में एलआईसी का बॉन्ड लिया गया था।तत्कालीन बैंक मैनेजर ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए खताधारी सोनाबाबू के अकाउंट में 47 लोगों के मैच्यूरिटी की राशि डाल दी थी। यूबीजीबी खाता संख्या 1008091030117396 जिसके खाता धारी सोना बाबू हैं एक थर्ड पार्टी अकाउंट है और इसी खात मे गबन की नियत से कुल 47 एलआईसी बांड के मेचोरिटी की राशि डाली गई थी।

जबकि खाताधारी के द्वारा डेबिट कार्ड एवं नेफ्ट के माध्यम से राशि निकासी की गई थी। यह सारा घालमेल शाखा प्रबंधक बीरेंद्र कुमार दास के आदेश एवं संरक्षण मे हुआ है। वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो सोना बाबू यूबीजीबी बैंक में दलाली का काम करता था। वह लोगों को लोन दिलाने के नाम पर मोटी रकम की वसूली करता था।

हालांकि तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास के तबादले के बाद वह बैंक में नजर नहीं आया। बताते चलें कि ग्रामीण बैंक में ऋण के बदले सिक्योरिटी के तौर पर एलआईसी या डाकघर का बांड पेपर लिया जाता है। यदि ऋणधारी ऋण का भुगतान नहीं करते हैं तो जमा बांड बैंक के मेच्योरिटी होने पर उसका भुगतान बैंक के आधिकारिक खाते मे या फिर शाखा प्रबंधक या बैंक के उच्चय अधिकारी के खाते में किया जाता है। लेकिन तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने बैंकिंग नियमों को ताक पर रखते हुए 47 लोगों के एलआईसी बॉन्ड के मेच्योरिटी राशि को सोना बाबू के खाते में जमा कर गबन कर दिया।

Kishanganj:उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में लाखों के गबन का हुआ खुलासा,जांच में जुटी पुलिस