पटना /डेस्क
वुहान की राह पर बिहार चल पड़ा है । बिहार सरकार के लाख दावे करे लेकिन बिहार में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण और सरकार की तैयारियों ने पोल खोलकर रख दी है ।
बिहार में पिछले कई दिनों से जो तस्वीरें सामने आ रही है उसके बाद स्वास्थ मंत्री श्री मंगल पांडे के दावे खोखले नजर आ रहे है ।मालूम हो कि पटना के बड़े सरकारी अस्पताल एनएमसीएच में पिछले 4 दिनों से डेड बॉडी पड़ी हुई है। वहीं दो दिन पूर्व सबने देखा कि किस तरह से कटिहार में ऑक्सीजन के लिए दर दर की ठोकरें एक महिला खा रही थी , साथ ही एम्स में मरीज को भर्ती नहीं किए जाने का भी वीडियो पूरे देश ने देखा ।
मालूम हो कि पिछले 18 दिनों में राज्य में 15 हजार से अधिक संक्रमित मरीज मिले है और मृतकों का आंकड़ा भी बढ़ा है ।बिहार में संक्रमित मरीजों की संख्या अगर सरकारी आंकड़ों को सच माने तो 27 हजार के पार पहुंच चुकी है ।
हालाकि सरकारी आंकड़े ही खुद इस बात की गवाही देते है कि आंकड़ों को कहीं ना कहीं छुपाया जा रहा है । स्वास्थ मंत्री मंगल पांडे लगातार ट्वीट कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं और उनका कहना है कि केंद्रीय टीम ने बिहार की व्यवस्था की सराहना कि है ।
लेकिन दावों के उलट लॉक डाउन के बावजूद संक्रमित मरीजों को अस्पतालो में घंटो जांच करवाने के लिए खड़ा रहना पड़ रहा है और तो और बिना जांच करवाए ही किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव तो किसी की रिपोर्ट नेगेटिव बता दी जा रही है ।
किशनगंज जिले में एक मरीज 32 घंटे तक कभी मधेपुरा तो कभी भागलपुर भटकने को मजबूर हो गया बाद में उसे सिलीगुड़ी में एडमिट करवाया गया ।ये कोरोना काल में सुशासन के कुछ मामले है ।लेकिन ऐसे कई मामले है जो बताते है कि राज्य सरकार कोरोना से लड़ने में फेल हो चुकी है ।