गर्भवती माता एवं धात्री महिला को देती है सुझाव
किशनगंज /प्रतिनिधि
शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है कि उसको पूर्ण पोषण मिले। जन्म से छह माह तक सिर्फ माँ का दूध ही पूर्ण व समुचित आहार का कार्य करता है। किन्तु छह माह के बाद शिशु के शरीर की बढ़ती जरूरतों के अनुसार, उसको स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार देना भी अनिवार्य है।इसी सन्देश के साथ अपने प्रखंड ठाकुरगंज के बेसरबाटी पंचायत के केंद्र संख्या 31 में पिछले 38 वर्ष से आंगनबाड़ी सेविका नमिता सिन्हा कार्य कर रही है |उन्होंने उम्र को आपने कार्य में कभी बाधा नही बनने दिया है , वे बताती है की महिला व युवतियों में होने वाले एनीमिया के साथ-साथ बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिये उचित पोषक आहार का सेवन जरूरी है| उन्होंने कहा अगर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सही पोषण मिले तो उन्हें कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है| एनीमिया की समस्या को कम करने के लिहाज से उचित पोषण का विशेष महत्व है| पोषण पखवाड़ा के अलावा आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से समय-समय पर आयोजित होने वाले विभिन्न गतिविधियों में माध्यम से पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने का अभियान संचालित किया जाता है| इसमें हरी साग सब्जी, पालक, बथुआ, मेथी, गाजर, चना, सोयाबीन सहित अन्य प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन की सलाह दी जाती है।

गर्भवती माता एवं धात्री महिला को देती है सुझाव
सेविका नमिता सिन्हा ने बताया की कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण के पांच सूत्र तैयार किये गये हैं। पहला सुनहरा 1000 दिन, डायरिया प्रबंधन, पौष्टिक आहार, स्वच्छता एंव साफ-सफाई, एनिमिया प्रबंधन शामिल है। इन पांच सूत्रों से कुपोषण पर लगाम लगाने की तैयारी की गयी है। अपने पोषक क्षेत्र के सभी गर्भवती एवं धात्री महिलाओ के गृह भ्रमण कर सही पोषण के लिए जागरूक करने के साथ ही गर्भावस्था में और बच्चों का ऊपरी आहार, खानपान के प्रति सजग होने, शिशु जनित रोगों से मुक्ति के लिए सही जानकारी दी जा रही है। जिसका मुख्य उद्देश्य देश के बच्चों, किशोरों एवं महिलाओं को कुपोषण मुक्त, स्वस्थ और मजबूत बनाना है। इसके लिए आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा लोगों को सही पोषण के लिए जागरूक करने के साथ ही गर्भावस्था में और बच्चों का ऊपरी आहार, खानपान के प्रति सजग होने, शिशु जनित रोगों से मुक्ति के लिए सही जानकारी दी जा रही है। इस दौरान कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करती है |
कुपोषण दूर करने के लिए पोषणयुक्त पौधे अवश्य लगाये
सेविका नमिता सिन्हा कुपोषण को दूर करने के लिए अपने पोषक क्षेत्र में खाद्य वानिकी पोषण युक्त पौधों के माध्यम से प्रत्येक केंद्र पर बेल, जामुन, आंवला, पपीता, खजूर, अमरूद, सहजन, अनार आदि में से कम से कम 4 पौधों को लगाने के लिए लोगो को जागरूक कर रही है साथ आंगनबाड़ी केंद्र एवं पोषक क्षेत्र जहां पौधे लगाने के लिए स्थान की उपलब्धता हो एवं जहां जगह हो वहां कुछ प्रमुख पौधे जैसे सहजन, पपीता, अमरूद, नींबू का पौधरोपण करने का प्रयाश कर रही है |
एनीमिया व कुपोषण को दूर करने में पोषक तत्वों का सेवन जरूरी
पोषण संबंधी गतिविधियों की जानकारी देते हुए सेविका नमिता सिन्हा ने बताया महिला व युवतियों में होने वाले एनीमिया के साथ-साथ बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिये उचित पोषक आहार का सेवन जरूरी है| उन्होंने कहा अगर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सही पोषण मिले तो उन्हें कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है| एनीमिया की समस्या को कम करने के लिहाज से उचित पोषण का विशेष महत्व है| पोषण पखवाड़ा के अलावा आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से समय-समय पर आयोजित होने वाले विभिन्न गतिविधियों में माध्यम से पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने का अभियान संचालित किया जाता है| इसमें हरी साग सब्जी, पालक, बथुआ, मेथी, गाजर, चना, सोयाबीन सहित अन्य प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन की सलाह दी जाती है|