तुझको चाहा था मैंने तुझे भूलाता कैसे

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तुझको चाहा था मैंने तुझे भूलाता कैसे

मुझको तेरा न होने का ग़म मिटाता कैसे 

मैंने हर रात किया हैं बस याद तुझी को 

ख़्वाबों में भी नहीं मिलता दिखाता कैसे 

तुमने हर वक्त तो फासले ही रखें हमसे

तुमने चाहा ही नहीं रब हमें मिलाता कैसे

उसकी आंखों ने पहले ही जुल्म ढाए है

मैं उसके रुख़ से नक़ाब हटाता कैसे 

हो हमें कितना ही अज़ीज़ उसका कूचा

अपना छोड़ उसके कूचे में घर बसाता कैसे 

सुना पड़ा हैं गांव फ़िराक़ ए यार के बाद

वो जाना चाहती थीं उसकी बात काटता कैसे 

उसने पूछा हैं मुझसे हाल तेरा ‘अंकित ’

आज हाल बुरा भी हो तो बतलाता कैसे 

साभार : अंकित राज के फेसबुक वॉल से 

तुझको चाहा था मैंने तुझे भूलाता कैसे