किशनगंज /प्रतिनिधि
पुरबपाली स्थित तेरापंथ भवन में इन दिनों आचार्य महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संगीत श्री व उनकी सहयोगी तीन साध्वियों का चातुर्मास चल रहा है।साध्वियों की प्रेरणा से तेरापंथ धर्मसंघ के अनुयायी गृहस्थ जीवन मे रहकर तपस्या कर रहे हैं।किशनगंज और आसपास के क्षेत्रों में कई दिनों तक निराहार रहकर तेरापंथ धर्मसंघ के अनुयायी तपस्या कर रहे हैं।इसी क्रम में साध्वी संगीत श्री के सानिध्य में शनिवार को किशनगंज की युवती प्रांजू दफ्तरी के तप का अभिनंदन समारोह हुआ।प्रांजु लगातार 15 दिनों तक निराहार कर तपस्या कर रही है।

कार्यक्रम की शुरुआत महिलामण्डल ने मंगलगीत गाकर किया।इसके बाद महासभा संरक्षक डॉ राजकरण दफ्तरी,स्थानीय सभाध्यक्ष विमल दफ्तरी,महिलामण्डल अध्यक्ष सन्तोष देवी दुगड़,अमित दफ्तरी,संजय बैद,अजय बैद,विनीता देवी,परीक्षित दफ्तरी और दफ्तरी परिवार ने तपस्विनी प्रांजू का गीतिका और वक्तव्यों के माध्यम से तपोभिनंदन करते हुए उनके तप की अनुमोदना की।
वहीं अपने प्रवचन में साध्वी संगीत श्री ने कहा कि जैन धर्म मे तप की महत्ता को बताते हुए तप को मंगल माना गया है।उन्होंने आगे कहा कि तप छोटा सा शब्द है-त और प,परन्तु दोनो शब्दों में बड़ा रहस्य है।उन्होंने कहा कि त यानि तापना और प यानि पाप,अर्थात पाप कर्मों को तपाना खपाना तप है।प्रांजू ने तपस्या करके अपने आप को तपाया है,संयम किया है।जैन आगमों में तप की बड़ी महिमा बताई है।तप वही कर सकता है जो शूरवीर होता है,अपने मन को मजबूत बनाकर रखता है।इसी क्रम में साध्वी मुदिता श्री ने तप की अनुमोदना करते हुए कहा कि तप वही कर सकता है जिसका आत्मबल, संकल्पबल मजबूत होता है।कार्यक्रम में तेरापंथ सभा,महिलामण्डल, युवक परिषद और अणुव्रत समिति की ओर से तपस्विनी प्रांजू का तपोभिनंदन किया गया।