आटे से दही तक पर जीएसटी का विवाद : निर्मला सीतारमण ने 14 ट्वीट में दिया हर बात का जवाब,बताया क्यों लगाया जीएसटी 

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देश/राजेश दुबे

मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी की नई दर लागू होने के बाद जारी विवाद को लेकर कहा कि गैर भाजपा शासित राज्य एवं जीएसटी काउंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय के बाद आटा सहित अन्य वस्तुओं पर 5% जीएसटी लागू किया गया है।वही उन्होंने कहा की  

पैकेज्ड वस्तुओ पर समान रूप से जीएसटी लागू करने के लिए उद्योग संघों और आपूर्तिकर्ताओ द्वारा पत्र लिखा गया था ,लेकिन कई तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही है ।

वित्त मंत्री ने एक के बाद एक कुल 14 ट्वीट कर कहा की दाल,गेहूं, मकई, राई,ओट्स,चावल, आटा/फ्लोर,सूजी,बेसन, लस्सी, कर्ड, चूड़ा को  को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है। जो प्री पैक्ड या प्री लेबल्ड नहीं हैं, उन पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में, जीएसटी परिषद ने अपनी 47वीं बैठक में दाल, अनाज, आटा, आदि जैसे विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की सिफारिश की थी। वित्त मंत्री ने कहा कि क्या यह पहली बार है जब इस तरह के खाद्य पदार्थों पर कर लगाया जा रहा है? नहीं, राज्य पूर्व जीएसटी व्यवस्था से ही खाद्यान्नों से राजस्व एकत्र कर रहे थे। अकेले पंजाब ने खरीद कर के माध्यम से खाद्यान्न पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए। यूपी ने 700 करोड़ रु जुटाए .इसे ध्यान में रखते हुए, जब जीएसटी लागू किया गया था, तो ब्रांडेड अनाज, दाल, आटे पर 5% की जीएसटी दर लागू की गई थी। बाद में इसे केवल उन्हीं वस्तुओं पर कर लगाने के लिए संशोधित किया गया जो पंजीकृत ब्रांड या ब्रांड के तहत बेची जाती थीं ।

श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि हालांकि, जल्द ही इस प्रावधान का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग, प्रतिष्ठित निर्माताओं और ब्रांड मालिकों द्वारा देखा गया और धीरे-धीरे इन वस्तुओं से जीएसटी राजस्व में काफी गिरावट आई ।इसका उन आपूर्तिकर्ताओं और उद्योग संघों द्वारा विरोध किया गया जो ब्रांडेड सामानों पर कर का भुगतान कर रहे थे।उन्होंने इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी पैकेज्ड वस्तुओं पर समान रूप से जीएसटी लगाने के लिए सरकार को पत्र लिखा। कर में इस बड़े पैमाने पर चोरी को राज्यों द्वारा भी देखा गया।वही उन्होंने कहा कि फिटमेंट कमेटी- जिसमें राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और गुजरात के अधिकारी शामिल थे- ने भी कई बैठकों में इस मुद्दे की जांच की और दुरुपयोग को रोकने के तौर-तरीकों को बदलने के लिए अपनी सिफारिशें कीं इसी संदर्भ में जीएसटी परिषद ने अपनी 47वीं बैठक में यह निर्णय लिया। 18 जुलाई, 2022 से इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाने के केवल तौर-तरीकों में बदलाव किया गया था, जिसमें 2-3 वस्तुओं को छोड़कर जीएसटी के कवरेज में कोई बदलाव नहीं किया गया था ।

उन्होंने कहा की यह निर्धारित किया गया है कि कानूनी माप विज्ञान अधिनियम के प्रावधानों को आकर्षित करने वाली “प्री-पैकेज्ड और लेबल वाली” वस्तुओं में आपूर्ति किए जाने पर इन सामानों पर जीएसटी लागू होगा।उन्होंने कहा की  दालें, अनाज जैसे चावल, गेहूं और आटा, आदि जैसी वस्तुओं पर पहले 5% जीएसटी लगता था जब ब्रांडेड और यूनिट कंटेनर में पैक किया जाता था। 18.7.2022 से “प्री-पैकेज्ड और लेबल” होने पर इन वस्तुओं पर जीएसटी लगेगा  ।उन्होंने कहा की यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सूची में नीचे निर्दिष्ट आइटम, जब खुले हुए बेचे जाते हैं, और पहले से पैक या पूर्व-लेबल नहीं होते हैं, तो उन पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा।  वित्त मंत्री ने कहा कि यह जीएसटी परिषद का सर्वसम्मत निर्णय था। 28 जून, 2022 को चंडीगढ़ में आयोजित 47वीं बैठक में दर युक्तिकरण पर मंत्रियों के समूह द्वारा इस मुद्दे को प्रस्तुत किए जाने पर जीएसटी परिषद में सभी राज्य मौजूद थे ।गैर-भाजपा राज्यों (पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल) सहित सभी राज्य इस निर्णय से सहमत थे। जीएसटी परिषद का यह फैसला एक बार फिर आम सहमति से हुआ है ।इसके अलावा, इन परिवर्तनों की सिफारिश करने वाले जीओएम में पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, उत्तर प्रदेश, गोवा और बिहार के सदस्य शामिल थे और इसका नेतृत्व कर्नाटक के सीएम ने किया था। इसने टैक्स लीकेज को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्ताव पर ध्यान से विचार किया।

आटे से दही तक पर जीएसटी का विवाद : निर्मला सीतारमण ने 14 ट्वीट में दिया हर बात का जवाब,बताया क्यों लगाया जीएसटी 

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