अलविदा जुमा की नमाज अकीदतमंदों ने की अदा, मांगी मुल्क में अमन चैन और आपसी भाईचारे की दुआ

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छातापुर।सुपौल।सोनू कुमार भगत


रमजानूल मुबारक की आखरी जुमा अलविदा की नमाज प्रखंड के सभी मस्जिदों में अकीदतमंदो ने अदा कर मुल्क में अमन चैन और आपसी भाईचारे के साथ रहने की दुआ मांगी। प्रखंड के विभिन्न पंचायत के मस्जिदों में रोजेदारों ने अलविदा जुमा की नमाज अदा किया। मुस्लिम भाइयो ने मुल्क की अमन चैन,देश की तरक्की की और आपसी भाईचारगी की दुआ मांगी । बच्चे ,बूढ़े, घर में औरतों ने भी अलविदा जुमे की नमाज अदा किया साथ ही गुनाहों से बचने के लिए अल्लाह से दुआ मांगी । सुबह से ही मुस्लिम मोहल्ले में साफ सफाई के साथ नहा कर नए,नए कपड़े पहनकर खुशबू,अतर लगाकर मस्जिदों में 12 बजे दोपहर की आजान के बाद मुस्लिम भाइयों की भीड़ जुटने लगी।

आजान के बाद पूरा मस्जिद नमाजियों से भर गया। जामा मस्जिद मर्कज छातापुर के इमाम मौलाना मो. मुबारक मजाहरी ने कहा रमजान की आखिरी जुम्मा को अलविदा कहा जाता है ।अलविदा का मतलब विदा होना है रमजान की सभी जुम्मा में सबसे महत्व अलविदा जुमा को कहा गया है। जो ईमान वाले पहले मस्जिद पहुचते उसे ज्यादा सवाब मिलता है। रमजान माह की 21,23, 25 ,27,29 की रातों को शबे ए कद्र की रात कहा जाता है यह रात तमाम रातों से बेहतर रात माना गया है। इस रात में जो भी ईमान वाले बंदे रात में जग कर इबादत करते हैं नमाज पढ़ना, कुरआन पढ़ना, अल्लाह का जिक्र करना, दुआ मांगना अल्लाह अपने खास फरिश्तों को भेजते हैं देखो मेरे इबादत में कौन-कौन बंदा अपने मगफिरत की दुआ मांगते हैं। उस बंदे की सभी गुनाहों को माफ कर देते है।






अल्लाह उस वक्त ईमान वाले बंदों के बहुत करीब होता है जब ईमान वाले के करीब होता है तो सभी जायज मांगी हुई दुआ अल्लाह कुबूल करते हैं। वलमा ए कराम ने कहा रोजा में पूरे एहतराम के साथ अदा करना ही रोजा है रमजान माह की अहमियत व फजीलत पर रौशनी डालते हुए कहा कि रोजा रखने के साथ पांच वक्त की नमाज अदा करना हर बुराई से परहेज रहना रमजान की पूरे माह इबादत में मशगूल रहना रोजेदार तरावीह की नमाज अदा करना ये सभी फजीलत बयान किये गए है। ईमानवाले के लिए रमजान माह का 30 रोजा रखना ईमानवाले के लिए अल्लाह ने बंदे को तीन चीजो से नवाजा है ईमानवाले पर पहला रहमत नाजिल होता हैै। दूसरा गुनाहों से छुटकारा होता हैै। तीसरा जहन्नम की आग से छुटकारा मिलता है। इस माह में अल्लाह इमान वालों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं । रमजान महीने के आखिरी अशरा यानी 10 रोजा बचने के बाद एतकाफ में अकीदतमंद मस्जिद में रहकर इबादत के साथ आवाम के लिए दुआ ए मगफिरत करते हैं । ईद की नमाज से पहले हर मुसलमान को सुबह सादिक से पहले फितरा, सदका साहिबे निसाब के ऊपर देना वाजिब है। जो नहीं निकालते हैं वह गुनहगार होते हैं जिसके पास साढे 52 तोला चांदी साढे 7 तोला सोना के बराबर दौलत है उसे फितरा, जकात निकालना जरूरी है।

सदका निकालना से हर ईमान वाले की जान माल की हिफाजत अल्लाह करते हैं। सदका, जकात, फितरा को यतीम, गरीब, मिस्कीन लोगो के बीच बटना हर मुसलमान को देना वाजिब माना गया है। रमजान उल मुबारक की आखिरी जुला अलविदा में युवा, बच्चे, बुजुर्ग में काफी खुशी का माहौल देखने को मिला। सभी मस्जिदों में सैकड़ों अकीदमंद ने नमाज अदा कर अल्लाह से दुआ मांगी।









अलविदा जुमा की नमाज अकीदतमंदों ने की अदा, मांगी मुल्क में अमन चैन और आपसी भाईचारे की दुआ