किशनगंज/संवादाता
ठाकुरगंज प्रखंड के बेसरबाटी पंचायत के चुरली स्थित मांझी स्थान मंदिर में मांझी परगना एभैन बैसी के द्वारा हूल दिवस मनाया गया।जिसकी अध्यक्षता अर्जुन हैम्बरम ने किया।वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हूल दिवस सांकेतिक रूप में मनाया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा प्रदेश प्रदेश मंत्री डोमन टुडू व अनुसूचित जनजाति मोर्चा जिला अध्यक्ष मुकेश हैम्बरम ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 30 जून को संथाल हूल दिवस मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि आज के दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अपनी प्राणों की आहूति देने वाले संथाल परगना के व भारत माता के वीर सपूत अमर शहिद सिद्धू कान्हू व उनके भाई चाँद भैरव और बहन फूलो झानू को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।हूल क्रान्ति दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जून को मनाया जाता है।

भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में ‘संथाल हूल’ और ‘संथाल विद्रोह’ के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। भाजपा नेता अमित कुमार सिन्हा व हंसराज नखत ने कहा कि सिद्धू तथा कान्हू दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 ई. को वर्तमान साहेबगंज ज़िले के भगनाडीह गांव से प्रारंभ हुए इस विद्रोह के मौके पर सिद्धू ने घोषणा की थी- करो या मरो,अंग्रेज़ों हमारी माटी छोड़ो। मौके पर भाजपा युवा नेता गुड्डू सिंह अतुल सिंह संतोष हासदा बिनोद मरांडी आनंद गोस्वामी होपनमय मुर्मु बबिता मरांडी फूल कुमारी टुडू आदि उपस्थित हुए।