तुम पूछ लेना सुबह से, न यकीन हो तो शाम से
ये दिल धड़कता है तेरे ही नाम से।
जब खामोश आँखों से बात होती है,
तो ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,
तेरे ही ख्यालों में खोये रहते हैं,
न जाने कब दिन और कब रात होती है।
मोहब्बत कभी किसी की इजाज़त की मोहताज नहीं,
ये हमेशा से होती चली आई है,
और हमेशा होती रहेगी।
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नही देखा,
निगाहे तो देखी पर दिल में उतर के नही देखा,
लोग समझते है में पत्थर हूँ,
अरे हम तो माँ है किसी ने आज तक छू के नही देखा
बीते पलों को बापस नही ला सकोगे,
सूखे फूलो को कभी नही खिला सकोगे,
भले ही हम से दूर चले जाओ,
लेकिन कभी हमे भुला नही सकोगे।
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