इश्क़
इल्ज़ाम है हम पर
हम इश्क़ में
वफ़ा की हद पार कर गए
गुनाह ये है कि
हम बस…
मोहब्बत बेहिसाब कर गए।
सौदा घाटे का था
पर क्या ही कर गए
हम बस…
इश्क में बदनाम सरे आम हो गए।
उसे देखे बिना न जीए
न मर ही गए।
हम बस …
कभी ग़ालिब कभी गुलज़ार
होके रह गए।
तुझसे रूबरू होने के क़िस्से
कहानियों में बदल गए।
हम बस….
हीर -रांझा, लैला -मजनू से
गुले -गुलफ़ाम हो गए।
जवा हुए नहीँ की फना हो गए
इश्क करने वाले
बस यूँ ही…
मुकम्मल हो गए।
प्रस्तुति /ललिता
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