शायरी

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सफ़र ए इश्क़ हो या मयख़ाने का दवाखाना,  दोनों का असर एक है बस होश को गंवाना।…..


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मुझे तोहफ़े में अपनो का वक्त पसंद है…लेकिन आजकल इतने मंहगे तोहफ़े देता कौन है…

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दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया


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फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है…
बस जिक्र करने का हक नही रहा…

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बहुत हसीं रात है मगर तुम तो सो रहे हो..
निकल के कमरे से इक नज़र चाँदनी तो देखो.


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भूलना चाहे तो बेशक भूल जा मुझको मगर है , हक़ीक़त मैं भी तेरे चाहने वालों में था ।

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