राजेश दुबे
देश बीते एक साल से भी अधिक समय से कोरोना महामारी से लड़ रहा है ।महामारी की पहली लहर जब आई किसी ने भी नहीं सोचा था कि इसकी वजह से देश को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा ।बीमारी के प्रभाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने लॉक डाउन लगाया ,राहत पैकेज की घोषणा की , गरीबों को मुफ्त में राशन मिले उसके लिए योजना का शुभारंभ किया गया,गरीबों को तीन महीने तक मुफ्त में एलपीजी के साथ साथ जनधन खाते में केंद्र सरकार द्वारा नकद राशि भी भेजी गई , ताकि कोई भूखा ना मरे ।
केंद्र सरकार जहा देश के नागरिकों की जान कैसे बचाई जाए उसे लेकर फिक्रमंद थी, वहीं विपक्ष के नेता केंद्र सरकार को घेरने की प्लानिंग में व्यस्त थे ।नेताओ द्वारा ऐसे ऐसे बयान दिए गए की देशभक्त नागरिक इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता कोविड को मोविड ,इंडियन वेरिएंट कहा गया जबकि चाइना वेरिएंट कहने की हिम्मत इनमें कभी नहीं हुई ।बीमारी के पहले लहर में सरकार ने लॉक डाउन का निर्णय लिया गया जिसे सरकार के द्वारा जल्दबाजी में लिया गया फैसला विपक्ष ने बताया ।कांग्रेस नेताओं ने अपने बयानों में कहा कि क्या लॉक डाउन से बीमारी खत्म होगी ? पीएम ताली, थाली बजवा कर बीमारी भगाना चाहते है जैसे बयान दिए गए ।इन सबके बीच एक साल बीत गया और देश के वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम से दो -दो वैक्सीन तैयार कर लिया ।वैक्सीन को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द मोदी ने लॉन्च किया ,लेकिन वैज्ञानिकों की सराहना करना तो दूर कांग्रेस ,समाजवादी पार्टी ,टीएमसी ,लेफ्ट सहित कई दलों के नेताओं ने इसे बीजेपी का वैक्सीन बताया और लोगो को गुमराह करने का काम किया ,नेताओ द्वारा कहा गया कि इस वैक्सीन को पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्यों नहीं लगवाते ?प्रधानमंत्री ने खुद नहीं लगवाकर इसे पहले स्वास्थ्य कर्मियो को क्यों लगवाया ,वैक्सीन सफल नहीं है ,इसे लगाने के बाद लोग मारे जा रहे हैं । नेताओ ने खूब बयान बाजी वैक्सीन को लेकर किया जिससे आप सभी वाकिफ है ।
केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों को पहले वैक्सीन लगाने का फैसला इसलिए लिया था, क्योंकि फ्रंट लाइन वारियर्स के रूप में स्वास्थ्य कर्मी दिन रात सेवा में जुटे थे और महामारी का खतरा पहले उन्हें अधिक था । टीके को लेकर राजनैतिक बयानबाजी के बीच केंद्र ने 60 साल से ऊपर के बुजुर्गो को मुफ्त में टीका लगाने का निर्णय लिया ।खैर अपनी बारी आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वैक्सीन लगवाया साथ ही अन्य केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने टीका लगवा कर लोगो को वैक्सीन के प्रति जागरूक किया । विपक्षी दलों ने अब कहना शुरू किया कि स्वास्थ्य राज्यो का विषय है, परन्तु केंद्र सरकार राज्यो से सारा अधिकार छीन रही है,केंद्र द्वारा मनमाने तरीके से सभी निर्णय लिए जा रहे हैं । जिस रफ्तार से टीकाकरण हो रहा है यही रफ्तार रही तो कई साल लग जाएंगे ।
इस बीच महामारी की दूसरी लहर भी देश में आई जो की पहले से भी भयावह है और बीते तीन महीनों से देश इससे लड़ रहा है ।
दूसरे लहर में ऑक्सीजन की कमी से देश में त्राहिमाम की स्थिति रही , कोरोना के नए वेरिएंट ने सांसो पर हमला किया और समूचे देश में ऑक्सीजन की मांग अचानक से बढ़ गई । राज्यो को आक्सीजन की आपूर्ति के लिए रेलवे ,वायु सेना, नेवी की भी मदद ली गई। डीआरडीओ ने कई स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाया वहीं पीएम केयर फंड से आक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा सरकार के द्वारा की गई । सरकार के त्वरित फैसलों की वजह से आक्सीजन की कमी भी अब लगभग दूर हो चुकी है ।राज्यो को केंद्र ने समय पर ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य किया परंतु विपक्ष तो विपक्ष ही है ,उसने इसमें भी अवसर तलाशना शुरू किया, जिसमें सबसे आगे रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ,शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो जब उन्होंने ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना ना साधा हो, लेकिन जैसे ही केंद्र सरकार ने आक्सीजन के ऑडिट की बात की उस दिन से दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी समाप्त हो गई और टीके की किल्लत शुरू हो गई ।
महामारी के प्रकोप और राजनैतिक बयानबाजी के बीच केंद्र ने 45 साल से ऊपर के लोगो को वैक्सीन लगाने की घोषणा की और राज्यो को स्वयं कंपनियों से वैक्सीन खरीदने की जिम्मेदारी दी गई ।लेकिन अधिकांश राज्य सरकारें इसमें भी फिसड्डी साबित हुई और बंगाल ,राजस्थान,दिल्ली,छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्य वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवाए जाने को लेकर दुबारा केंद्र सरकार पर ही ठीकरा फोड़ने लगे ।कांग्रेस पार्टी द्वारा विदेशो में वैक्सीन भेजे जाने को लेकर अभियान चलाया गया कि “मोदी जी मेरे बच्चो का वैक्सीन विदेश क्यों भेजा “जबकि केंद्र सरकार ने राज्यो और केंद्र शासित प्रदेशों को अभी तक 24 करोड़ से अधिक वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध करवाया है ।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में बड़े पैमाने पर वैक्सीन की बर्बादी की गई जहा कांग्रेस का शासन है , यहां वैक्सीन की डोज गड्ढे और डस्टबीन में मिले ।पंजाब की कांग्रेस सरकार ने आपदा को भी अवसर में बदलने की कोशिश की और वैक्सीन में भी मुनाफा कमाने की यहां कोशिश हुई ।400 की वैक्सीन को सरकार ने 1060 रुपए में बेचा और निजी अस्पतालों ने उसे 1500 रुपए में बेचने का काम किया,छीछालेदर होने के बाद पंजाब सरकार ने फैसला वापस लिया ।
पिछले महीने केंद्र द्वारा 18 साल से ऊपर के युवाओं को भी वैक्सीन लगाने की घोषणा हुई । राज्य सरकार को खुद कंपनी से खरीद कर युवाओं को टीका लगवाना था । जिसमें अधिकांश सरकारें असफल हुई , पुनः केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्य सरकारों को मुफ्त में वैक्सीन देने की घोषणा आज की गई है ।लेकिन एक बार फिर इस पर भी बयानबाजी शुरू हो चुकी है ,विपक्ष इसके लिए केंद्र को नहीं बल्कि सर्वोच्च न्यायालय का आभार जाता रहा है ।कल तक विदेश वैक्सीन भेजे जाने को लेकर जो नेता केंद्र सरकार पर उंगली उठा रहे थे वो अब कह रहे है कि विदेश वैक्सीन नहीं भेजे जाने के कारण हिंदुस्तान के विश्वगुरु की छवि धूमिल हुई है ।राहुल गांधी सवाल पूछ रहे है की जब वैक्सीन मुफ्त है तो निजी अस्पताल पैसा क्यों लेंगे …अब इन्हें कौन समझाए की देश में करोड़ों ऐसे लोग है जो मुफ्त में वैक्सीन नहीं चाहते उनके लिए सरकार ने यह व्यवस्था किया है कि जो रुपए देकर लगवाना चाहते है वो निजी अस्पतालों में लगवा सकते है …इसके साथ ही सरकार ने निजी अस्पतालों का मुनाफा भी तय कर दिया है कि वो 150 रुपए से अधिक लाभ नहीं ले सकते । केंद्र ने शायद यह सबक पंजाब के कांग्रेस सरकार से ही लिया होगा कि कोई 400 की वैक्सीन को 1500 रुपए में ना बेच पाए ।संकट के दौर से गुजर रहे इस देश को विपक्ष के मदद की जरूरत थी ,लेकिन विपक्ष के नेता बयानबाजी के जरिए “चित भी मेरी पट भी मेरी,” कहावत को चरितार्थ करने में जुटे रहे ।लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता ने हर बार की तरह इस बार भी इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है।अब विपक्ष सरकार को घेरने के लिए कौन सा नया टूलकिट बनाती है यह देखने वाली बात होगी ।