किशनगंज /प्रतिनिधि
रोशनी से करें त्यौहार का स्वागत, पटाखों के धुएँ से वायु प्रदूषण व कोरोना संक्रमण को बढ़ावा
प्रदूषण रहित त्यौहार से लाएँ खुशियों के संग सेहत का उपहार
धुआँ और तेज़ आवाज नवजातों और बुजुर्गों के लिए है हानिकारक
कोरोना संक्रमण काल और मौसम में बढ़ती ठंड ने पहले ही सेहत के प्रति सतर्कता की जरूरत बढ़ा दी है। उसपर दीपावली का त्यौहार भी है जिसके दौरान जलने वाले पटाखों के शोर और दमघोंटू धुएँ से स्वास्थ्य को नुकसान भी हो सकता है। कुल मिलाकर यह समय सभी आयु वर्ग के लिए सतर्कता बरतने का समय है किन्तु नवजातों, बुजुर्गों और गर्भवतियों की सेहत के लिए तो अधिक ख्याल रखने की जरूरत है। इसलिए त्यौहार मनाते समय उनकी असुविधाओं को नजरंदाज नहीं करें और ध्यान रखें कि वे घर में सुरक्षित रहें।
रोशनी के जरिये त्यौहार में बांटें खुशियाँ, प्रदूषण नहीं:
सिविल सर्जन डॉ. श्रीनंदन बताते हैं पटाखों की तेज आवाज और धुआँ वैसे तो सभी आयु वर्ग के लिए नुकसान दायक होता है। लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। ज़्यादातर इस उम्र में बुजुर्ग अस्थमा, हृदय संबन्धित रोग या अन्य मानसिक और शारीरिक रोगों से जूझ रहे होते हैं। इसलिए पटाखों के घातक तत्वों (सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कॉपर,लेड, मैग्नेशियम, सोडियम,जिक, नाइट्रेट एवं नाइट्राइट) से फैले जहरीले धुएँ इन के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
पटाखों की तेज आवाज से मानसिक तनाव, हृदयाघात, कान के पर्दे फटने का या तेज रौशनी से आँखों को नुकसान होने का डर रहता है। यही नहीं पटाखों से निकलने वाले घातक तत्वों से त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है। वुजुर्गों को इस दौरान घर के बाहर नहीं निकलने दें। दमा के मरीजों को हमेशा इन्हेलर साथ रखने और जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल की हिदायत दें। यदि उनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक असुविधा या बदलाव दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। साथ ही पटाखों के धुएँ से वायु प्रदूषण व कोरोना संक्रमण को बढ़ावा भी मिल सकता है। इसलिए इस बार कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुये रोशनी के जरिये त्यौहार में खुशिया बांटें प्रदूषण नहीं।
शिशुओं और गर्भवतियों को भी सतर्कता की जरूरत :
सिविल सर्जन डॉ. श्रीनंदन बताते हैं पटाखों से सिर्फ वुजुर्गों को हीं नहीं छोटे बच्चों और गर्भवतियों को भी नुकसान पहुंचता है। इनके तेज आवाज से जहां शिशुओं के कान के पर्दे फटने, त्वचा और आँखों को नुकसान का डर होता है वहीं गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान होता है। इससे शिशु के जन्म के बाद भी उसमें कई विकृतियाँ हो सकती हैं। इसलिए शिशुओं और गर्भवती माताओं को भी बाहर नहीं निकलने दें।
श्वसन तंत्रिका हो सकती है प्रभावित
सिविल सर्जन डॉ. श्रीनंदन ने कहा कि दीपावली में पटाखों के चलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण व्यक्ति के श्वसन तंत्रिका को प्रभावित करती है। जिससे वैसे लोग जो पहले से सांस संबंधी व्याधियों से ग्रसित हैं उनके लिए यह प्रदूषण काफी खतरनाक है। कोविड- 19 के वायरस जो हमारे श्वसन तंत्रिका को ही प्रभावित करती है, उसके लिए भी आवश्यक है कि कम से कम पटाखे चलाये जायें। किसी भी तरह से श्वसन तंत्रिका का संक्रमित या कमजोर हो जाना हमारे लिए घातक हो सकता है।
कोविड अनुरूप आचरण जरूरी :
सिविल सर्जन डॉ. श्रीनंदन बताते हैं वर्तमान परिस्थिति को देखते हुये समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति की ये नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपना ख्याल रखते हुये परिवार और समुदाय के इन विशेष वर्गों का ध्यान रखें। इसके लिए मास्क के इस्तेमाल का कोई विकल्प नहीं है। संभव हो तो उन्हें घर में भी मास्क का प्रयोग करने को कहें ताकि पटाखों के नुकसान से बच सकें। प्रशासन द्वारा जारी निर्देशिका में भी त्यौहारों के दौरान कोविड प्रोटोकॉल के सख्ती से पालन करने और शारीरिक दूरी रखने के निर्देश दिये गए हैं दीपावली में लोगों को एक दूसरे से मिलना-जुलना अधिक होता है, ऐसे में चाहिए कि इस कोरोना काल में कम से दो गज की शारीरिक दूरी बनाते हुए ही मिलें। जिनका ईमानदारी से पालन कर सुरक्षित रह कर त्यौहार मनाएँ ।
दीपावली में कम से कम पटाखें चलायें –सिविल सर्जन
-पटाखों से वायु प्रदूषण की संभावना
-नेत्र एवं श्वसन तंत्रिका हो सकती प्रभावित
-प्रदूषण कोरोना की दृष्टि से भी सही नहीं