वो इतना याद आता है
कि दिल उदास हो जाता है
वो सूरज जो तपाता है
तो वो बारिश भी लाता है
अजब मौसम है दिल का जो
ख़िज़ाँ को खूब भाता है
मेरी तारीख़ में वो ही
सदा से मुस्कुराता है
जो ख़्वाहिश है मेरी वैसी
ही ख़्वाहिश वो सजाता है
सुना है उसकी साँसों से
वो मेरी धुन बजाता है
मैं अपना नाम लूँ कैसे
उसी का नाम आता है
उसे पाया तो लगता है
वो जन्नत भी बनाता है
कात्यायनी दीप एक प्रख्यात लेखिका है ।इनकी कई पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है ।फेसबुक पर इनकी रचनाओं को लोग खूब पसंद करते है ।
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