राजेश दुबे
देश के चीन पोषित पत्रकारों , चीन समर्थित विपक्षी पार्टियों या टुकड़े टुकड़े गैंग को हिंदुस्तान कि सेना के शौर्य और पराक्रम पर भरोसा भले ना हो और लद्दाख के गलवान घाटी में चीन द्वारा किए गए धोखेबाजी के बाद भारतीय सेना और सरकार पर बार बार सवाल खड़े कर रहे हो । लेकिन विदेशी मीडिया और अन्य देशों के खुफिया एजेंसियों द्वारा ना सिर्फ हमारे सेना कि तारीफ कि जा रही है बल्कि उनके शौर्य का भी गुणगान अखबारों और पत्र पत्रिकाओं में किया जा रहा है ।
भारत के वीर जवानों ने चीन की धोखेबाजी का करारा जवाब दिया है ।चीन में क्योंकि मीडिया संस्थानों पर सरकारी कब्जा है तो वहां से तस्वीरें सामने नहीं आ रही है । लेकिन धीरे धीरे सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो और तस्वीर सामने आ रही है । जिससे पता चलता है कि भारत के वीर सपूतों ने चीन के सैनिकों को मुंहतोड़ जबाव देने का काम किया है यही नहीं हिंदुस्तान में सैनिकों के शहादत के बाद सम्मानपूर्वक विदाई से चीन का बड़ा तबका चीन सरकार से विद्रोह में उतर गया है ।
क्योंकि चीन ने अपने सैनिकों को वो सम्मान नहीं दिया और चीन कि सरकार ने चोरी छिपे उनका अंतिम संस्कार कर दिया और मारे गए चीनी सैनिकों के परिवारों को बाद में उसकी जानकारी दी गई ।जानकारी के मुताबिक चीन अंदर ही अंदर सुलग रहा है और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ हांगकांग ,तिब्बत,ताइवान में विद्रोह की आवाज बुलंद हो गई है और लोग सड़कों पर उतर कर चीन सरकार का विरोध कर रहे है ।
चीन सरकार या उसकी मीडिया संस्थानों के द्वारा मामलो को दबाए जाने की पुरजोर कोशिश के बावजूद भी परत दर परत सच्चाई सामने आ रही है कि चीन कैसे अपने यहां जारी विद्रोह को दबाने की कोशिश में जुटा हुआ है और हिंदुस्तान द्वारा आर्थिक मोर्चे और सैन्य मोर्चे पर दिए घाव का दर्द सहन नहीं कर पा रहा है । वहीं भारत सरकार ने सोमवार को जो डिजिटल एयर स्ट्राईक किया है चाइनीज ऐप पर प्रतिबंध लगा कर उससे चीन को अपनी ही जमीन पर विद्रोह का सामना करना पड़ेगा ।चीन के सैनिकों के द्वारा की गई एक गलती का इतना खामियाजा उठाना पड़ सकता है शायद ही चीन ने कभी सोचा होगा ।
भारत द्वारा सीमा पर ना सिर्फ लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी गई है । बल्कि ऐसे सुरक्षा प्रणाली की भी तैनाती कर दी है । जिससे अगर चीन किसी प्रकार का दुस्साहस करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके जिसके बाद चीन के पास पीछे हटने के सिवाय कोई रास्ता बचा नहीं था और चीन की सेना ने अपना कदम पीछे हटा लिया है ।लेकिन ये बाते हमारे ही देश के एक तबके को दिखाई नहीं देती और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बार बार सवाल खड़े कर सैनिकों का मनोबल तोड़ने का काम इनके द्वारा किया जाता है जिसे कहीं से जायज नहीं ठहराया जा सकता ।
देश जब संकट से गुजर रहा हो उस समय राजनीति से ऊपर उठ कर देश हित में खड़ा होने की बात तो करते हैं । लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए जबकि पीछे की सच्चाई सामने आ ही जाती है जो की हुआ भी है ।1962 में अगर ज्योति बसु , नंबूदरी पाद जैसे लोग चीन के साथ खड़े थे तो 2020 में भी कई ऐसे नाम है जो चीन के कायराना हरकत पर चीन के खिलाफ बयान ना देकर अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े होकर सैनिकों का मनोबल तोड़ने में लगे है ।
लेकिन 2020 का भारत नया भारत है इन्हे सोचना चाहिए और देश की संप्रभुता पर हमला करने की कोशिश करने वालों पर जबाव देने में सक्षम है ।देश की विपक्षी पार्टियों और ऐसे चीन पोषित पत्रकारों को अब चीन की सरपरस्ती से बाहर निकल यह देखना चाहिए कि कैसे भारत की सेना और सरकार किसी भी हमले का करारा जबाव देने को तैयार है । इन चीन पोषित पत्रकारों या नेताओ को इससे बाहर निकलने की जरूरत है कि पीएम ने अपने मन की बात में चीन का नाम क्यो नहीं लिया बल्कि यह देखने की आवश्यकता है कि बिना दुश्मन का नाम लिए ही कैसे दुश्मन को अब हिंदुस्तान छठी का दूध याद दिला देता है ।