किशनगंज :बेणुगढ़ एतिहासिक किला स्थित बाबा बेणु माहाराज के भव्य मंदिर निर्माण कार्य का हुआ शुभारंभ

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बेनुगढ़ का है ऐतिहासिक महत्व ,खुदाई में मिले है कई प्राचीन अवशेष

किशनगंज /विजय कुमार साह

टेढ़़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अन्तर्गत डाकपोखर पंचायत स्थित बाबा बेणु माहाराज भव्य मंदिर का हुआ भुमि पूजन व शिलान्यास । मंदिर का शिलान्यास डाकपोखर पंचायत की मुखिया गुड़िया गिरी व मुखिया प्रतिनिधि गौतम गिरी के द्वारा किया गया इस मौके पर शिक्षा विद्व साहित्याचार्य प्रो० मुक्ति लाल दास ,ब्रसलाल दास ,कार्तिक प्रसाद सिंह, नरायण प्रसाद दास,सत्रुधन प्रसाद सिंह, सरपंच पंखों देवी, प्रेमलाल दास,निर्मल दास ,गौतम दास,परमेश्वर प्रसाद सिंह सत्यनारायण सिंह, जयराम सिंह, नंदमोहन सिंह, प्रकाश सिन्हा, निरज सिंह, केशव दास,राजेंद्र पासवान, शिशिलाल सिंह, हरिहर प्रसाद सिंह आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे और मंदिर निर्माण के कार्यों में भक्ति भाव के साथ अपना सहयोग दिया।






गौरतलब हो की बेणुगढ़ का एतिहासिक किला सदियों से सुर्खियों में रहा है।यहाँ बंगला संवत के अनुसार एक वैशाख पर हर वर्ष वैशाखी का भव्य मेला का आयोजन होता आया है । जहाँ सभी धर्मों के लोग दूर-दूर से पूजा अर्चना करने आते हैं और एक साथ एक हीं मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं और बाबा बेणु माहाराज का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार भी इस मंदिर में पूजा अर्चना कर बाबा बेणु से आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं।स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि बाबा के मंदिर में सभी धर्मों के लोग पूजा अर्चना सदियों से करते हैं।और बाबा सभी की मन की मुरादों को पूरा भी करते हैं।इसलिए वर्षों से लोग दूर -दूर से मन्नते मांगने आते हैं।

मंदिर के बगल में ऐतिहासिक तालाब है जहाँ लोग एक साथ स्नान व वजू करते हैं।इसलिए इस मंदिर को आपसी भाईचारें व सदभावना का प्रतीक भी माना जाता है प्रो० मुक्त लाल दास बताते हैं कि मैं फिलहाल बाबा बेणुगढ़ स्थल के इतिहास से संबंधित एक शोध कर रहा हूँ।शोध के उपरांत मेरी एक पुस्तक आपलोगों के बीच जल्द आएगी अभी सरांश में उन्होंने ने बताया कि माहाराज बेणु का किला किशनगंज जिला का गौरव है जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर पश्चिम टेढ़़ागाछ प्रखंड में अवस्थित है बेणुगढ़ के इतिहास के बारे में इतिहासकारों वेदों, पुराणों व विभिन्न गजटों आदि के अध्ययन से पता चलता है कि सभी के मत व विचार अलग अलग है किसी से किसी का मेल जोल नहीं बैठता है।






वायुपुराण, मतस्यपुराण, ब्राह्मणपुराण, पदम पुराण,संसकृत साहित्य का इतिहास, डॉक्टर ए बी कीत द्वारा रचित इतिहास एवं संस्कृत मेनुअल तथा बिहार गजट 1911 में पूर्णियाँ जिला के वर्णन में बेणुगढ़ का जिक्र मिलता है।आदि अध्ययनों से पता चलता है कि राजा बेणुगढ़ का स्थल एक माहाभारत कालीन किला है।बंगाल से प्रकाशित पूर्णियाँ जिला के गजट में असूरा गढ़,बड़ीजान गढ़,नन्हा गढ़,कन्हां गढ़ व बेणु माहाराजा का गढ़ का उल्लेख मिलता है। गजट में कहा गया है कि ये पाँचों भाई थे वे इस किले को एक हीं रात में बनाने की बात लिखी गई है गजट के अनुसार पाँचों भाई राजा विक्रमादित्य के समय में थे व गजट में राजा विराट की राजधानी ठाकुरगंज होने की बात कही गई है तथा बेणुगढ़ को माहाभारत काल तक होने की बात कही गई है उसके बाद बेणु माहाराज के वशंजों का पता नहीं चलता है एसा अनुमान लगाया जाता है की माहाभारत युद्ध में बहुत सारे राजा माहाराजा के पुरे परिवार युद्ध में मारे गए व एनेकों किला विद्ववंश हो गए इस कारण इनके आगे के वंशजों का पता शोध में अभी तक नहीं चल पाया है।इसलिए इस एतिहासिक धरोहरों का पुरातात्विक विभाग के तरफ से अगर ढ़ग से खुदाई कराई जाय तो अवश्य हीं माहाभारत कालीन अवशेष आज भी मिल सकता है।कारण जब हाल हीं में विधानसभा चुनाव से पूर्व जल जीवन हरियाली योजना अन्तर्गत जब तालाब का जीर्णोद्धार किया जा रहा था तभी सात से आठ फीट गढ़ा खोदा गया था तो पाँच से छ: फीट चौड़ी-चौड़ी दीवार पाई गई थी जिसमें चौड़ी-चौड़ी चमकीला ईंट व पत्थर के उपकरण मिले थे जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि अंदर में बहुत सारे रहस्य छूपे हो सकते हैं 72 एकड़ भू भाग में फैला यह एतिहासिक स्थल सैर सपाटे के लिए सदियों से सुर्खियों में रहा है । महाभारत काल में पाण्डव भी अज्ञातवास में यहां रह चुके हैं आज भी यहाँ विलूप्त व दुर्लभ पशु-पंछी तथा वन जी्व जैसे गरुड़, गिध,बाज,दुर्लभ चमगादड़ की प्रजाति रंग विरंगे तोते तथा जंगली जानवर भी यहाँ सैर सपाटे पर आते रहते हैं यहाँ कुदरत का दिया सब कुछ है जो आज भी विद्दमान है।






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किशनगंज :बेणुगढ़ एतिहासिक किला स्थित बाबा बेणु माहाराज के भव्य मंदिर निर्माण कार्य का हुआ शुभारंभ

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