किशनगंज / अनिर्वाण दास
सीओपीडी शुरू होने से पहले उसकी रोकथाम करे सीओपीडी को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है कि ध्रुमपान शुरू ही न करे या ध्रूमपान छोड़ दें।यदि आपको खुद से ध्रूमपान छोड़ने में कठिनाई आ रही है तो किसी सपोट ग्रुप से जुड़ने के बारे में आप विचार कर सकते है।ध्रूमपान छोड़ने के अपने प्रयासो मे अपने परिवार के सदस्यों औंर मित्रों को सहयोग देने के लिए कहें,इससे आपके फेफड़ों को होने वाली क्षति घटाने का सबसे सरल मौका मिलता है। ध्रूमपान और प्रदूषण से बचकर सीओपीडी बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसके साथ ही दिनचर्या में भी लाना होगा बदलाव। दैनिक जीवन मे अति व्यस्तता के बावजूद भी अपने दिनचर्या में बदलाव लाकर सीओपीडी बीमारी से बचा जा सकता है। बुधवार को विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर शहर में चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम को लेकर यह बातें टीबी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शिव कुमार ने प्रेस वार्ता के दौरान कही।
सीओपीडी रोग की रोकथाम को लेकर डॉक्टर शिव कुमार के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यक्ष्मा विशेषझ डॉक्टर कुमार ने कहा कि सीओपीडी फेफड़े का एक ऐसा रोग है जिसे रोका जा सकता है। यह सबसे ज्यादा धुएं से फैलता है। जिसमे चिमनी के धुएं, भट्टा से निकलने वाले धुएं, घर मे चूल्हे में खाना बनाते समय निकलने वाले धुएं आदि से फैलता है।
सीओपीडी का सबसे सामान्य कारण तंबाकू का धुआं है।सिगरेट पीना सबसे ज्यादा हानिकारक है। सिगरेट का धुंआ इतना खतरनाक होता है कि सिगरेट पीने वालों के अलावा यह दूसरे को भी प्रभावित करता है। डॉक्टर कुमार ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि इस रोग से बचने के लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा। जो सिगरेट का सेवन कर रहे हैं इसे जल्द छोड़ दें।
यह रोग पहले 40 की उम्र के बाद के लोगों को होने की ज्यादा संभावना रहती थी। अब 35 की उम्र के बाद के लोगों को भी होने की संभावना है। डॉक्टर श्री कुमार ने कहा एक आंकड़े के अनुसार बिहार में 3 लाख से ज्यादा रोग इस रोग से प्रभावित हैं।उन्होंने कहा कि दुनिया मे मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण सीओपीडी है। उन्होंने कहा कि लोगों में भ्रांतियां है कि 20 वर्ष सिगरेट पी रहा हूं अब क्या छूटेगा, सीओपीडी का कोई उपचार नहीं है। जबकि आप जब से सिगरेट छोड़ेंगे तभी से इसके फायदे होने लगेंगे और इसके उपचार भी हैं।जागरूक होकर इसकी रोकथाम की जा सकती है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज़ (सीओपीडी) फेफड़े की एक ऐसी बीमारी है जिसकी रोकथाम और प्रबंधन किया जा सकता है।
ये खतरनाक हो सकती है और बढ़ सकती है।इस स्थिति में फेफड़ों मे श्रवसन नलिकाओं मे प्रदाह होने लगता है और वे संकरी हो जाती है और हवा की थैलिया क्षतिग्रस्त हो जाती है ,जब ये नुकसान बहुत ज्यादा होता है तो फेफड़ों के लिए भी रक्त मे पयाप्त ऑक्सिजन दे पाना तथा अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को निकाल पाना अधिक कठिन हो सकता है।मास्क पहनकर ही घरों से निकले। मास्क पहनने से भी इस रोग से बचा जा सकता है।