राज कुमार/किशनगंज/पोठिया:
भारतीय संस्कृति में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। सुहागिनें इस दिन पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। सोमवार को प्रखंड के छत्तरगाछ, दामलबारी, रायपुर सहित कई जगहों पर महिलाओं की भीड़ दिखी। महिलाओं ने वटवृक्ष के नीचे और घरों में वट की डाल लगाकर पूजा की।

पुजारी देवानंद झा ने बताया, शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को सुहागिनें व्रत रखती हैं। वटवृक्ष के नीचे सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा होती है। मान्यता है कि सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाए थे। तभी से यह व्रत सुहागिनों के लिए विशेष माना गया है।
पौराणिक कथा के अनुसार जब सावित्री यमराज के पीछे जा रही थीं, तब वटवृक्ष ने सत्यवान के शव की देखरेख की थी। पति के प्राण वापस मिलने पर सावित्री ने वटवृक्ष की परिक्रमा कर आभार जताया था। तभी से इस व्रत में वटवृक्ष की पूजा और परिक्रमा की परंपरा है। सुहागिनें इस दिन अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।