शायरी:न पूछ ज़ालिम के कैसी गुज़री है रातें,पढ़े चुनिंदा और बेहतरीन शायरी

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तेरे दीदार की हसरत लिए फिरते हैं,
हम तन्हा दिल में मोहब्बत लिए फिरते हैं।
न पूछ ज़ालिम के कैसी गुज़री है रातें,
तेरी यादों की चादर लिए फिरते हैं।

तेरे नाम से महक उठे हैं गुलशन सारे,
तेरे साए में ही गुज़रे हैं मौसम हमारे।
तू ना मिला तो क्या, शिकवा नहीं हमको,
तेरी यादें ही हैं अब साज़-ए-दिल हमारे।

(१)तेरे बिना अधूरी सी लगती है ज़िंदगी,
तेरे साथ हर लम्हा बन जाए बंदगी।
तुझमें ही बसी है मेरी हर खुशी,
तू मिले तो हर चाहत हो जाए पूरी।

2.
प्यार वो नहीं जो दुनिया को दिखाया जाए,
प्यार वो है जो दिल से निभाया जाए।
ज़िंदगी में मिलते हैं हज़ारों चेहरे,
पर प्यार वही है जो बिना कहे समझा जाए।

3.
हर दुआ में तेरा ही नाम लेते हैं,
तेरे बिना अधूरे से हम लगते हैं।
तू साथ हो तो क्या बात है,
तेरे बिना ये सांसें भी बेरंग लगते हैं।

4.वो लम्हा कुछ खास था, जब तेरा साथ था,
हर दर्द भी मीठा लगा, जब तू मेरे पास था।
अब तो ख्वाबों में ही तेरा दीदार होता है,
क्योंकि हक़ीक़त में तुझसे मिलना अब एक अरमान होता है।

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शायरी:न पूछ ज़ालिम के कैसी गुज़री है रातें,पढ़े चुनिंदा और बेहतरीन शायरी

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