टेढ़ागाछ/किशनगंज/विजय कुमार साह
टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में मौसम ने अचानक करवट ली है। बीते कुछ दिनों से तेज धूप एवं उमश भरी गर्मी से जहां लोगों ने राहत ली की सांस ली, वही टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में अत्यधिक बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। खासकर मक्का की फसल पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा है, जबकि किसानों द्वारा मक्के की मालिश कर सुखाया जा रहा था, अचानक बारिश ने किसने की उम्मीद पर पानी फेर दिया हैं।
जिससे किसान नुकसान और हताशा के दौर से गुजर रहे हैं।
खेती के जानकारों का कहना है कि मक्के की फसल इस समय पकने की स्थिति में थी, लेकिन अचानक बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया है और पौधों की जड़ें गलने लगी हैं। इससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा।
स्थानीय किसान रामनाथ सिंह, झाड़ीलाल साह,बालेश्वर यादव, अनिरुद्ध प्रसाद सिंह, खुशी लाल मंडल, इंद्र लाल शर्मा, मनोज यादव, मोहम्मद बीरबल अंसारी, अनिरुद्ध प्रसाद शाह, किशोरी प्रसाद शाह, माया नंद मंडल आदि ने कहा, “मक्का ही एकमात्र फसल थी जिससे हमें कुछ उम्मीद थी, लेकिन अब वो भी बर्बाद हो रही है। ना तो सरकार से कोई मदद मिली, ना ही कोई अधिकारी अब तक खेत देखने आया।”
खेती-बाड़ी पर निर्भर इस क्षेत्र के अधिकांश किसान अब सरकार से मुआवजे और राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं। अगर जल्द ही कृषि विभाग या आपदा प्रबंधन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
टेढ़ागाछ के किसान आज आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं एक राहत की उम्मीद में।किसान मोहम्मद बीरबल अंसारी ने कहा कि एक बीघा मक्के की खेती करने पर ₹15000 हजार रुपए की लागत लगती है, उसे लागत के अनुसार कम से कम मक्के की दाम तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल दर से किसानों को मिलना चाहिए। उन्होंने सरकार से मक्के की दाम कम से कम किसानों को प्रति क्विंटल तीन हजार करने की मांग की है। जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिलेगी।