टेढ़ागाछ/किशनगंज/मनोज कुमार
किशनगंज जिला संतमत सत्संग का 15 वां वार्षिक अधिवेशन का आयोजन टेढ़ागाछ प्रखंड के चरघरिया झाला में शनिवार की प्रातः कालीन सत्संग के साथ आरम्भ हो गया है। इस अधिवेशन के प्रथम दिन के प्रातः कालीन व संध्या कालीन सत्संग में महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के शिष्य व्यासानन्द जी महाराज ईश्वर के स्वरुपों के बारे में बताया ईश्वर के स्वरूप को जाने बिना दिशाहीन होती है भक्ति।
सत्संग से भगवान के रूप का होता है दर्शन। उन्होंने बताया संसार में जितने भी प्राणी हैं, सभी परमात्मा के अंश हैं। सत्संग के माध्यम से ईश्वर स्वरूप का दर्शन होता है। मनुष्य के कल्याण के लिए सत्संग बहुत जरूरी है।संत महात्मा मनुष्य के कल्याण के लिए आते हैं।संतों का ज्ञान अगाध समुद्र की तरह है। संत और भगवंत शरणागत को त्याग नहीं देते।वे शरणागत को बीच राह में नहीं छोड़ देते। उसे स्वयं समर्थ बनने तक वे सहारा देते रहते हैं।
साधना और ध्यान के माध्यम से मन पर विजय पाया जा सकता है।जिस प्रकार पानी का बहाव ढलान की ओर बढ़ता है,ठीक उसी प्रकार मन का बहाव भी निचली संसार की ओर बढ़ता है। मन को वश में करने के लिए संयम चाहिए।संयम के लिए आसन और प्राणायाम जरूरी है। उन्होंने कहा किसी नदी में स्नान करने से किसी का मन नहीं बदलता है।मन को वश में करने के लिए संयम चाहिए।सत्संग में आने से विचार बतलाता है,स्वभाव बदलता है। इस अधिवेशन में संतमत के वरिष्ठ महात्मागण तथा अन्य विद्वान साधु संत पधारे हैं।इस मौके पर भारत नेपाल से हजारों की संख्या में सत्संग प्रेमी व श्रद्धालु पहुंचे हैं।