किशनगंज /राजेश दुबे
किशनगंज में जमीयत उलेमा ए हिंद द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद असद मदनी ने केंद्र और राज्य सरकारों को सीधा चुनौती दिया है ।उन्होंने कह की वक्फ मुसलमानों द्वारा दान की हुई है, इसलिए हुकूमत इसमें दख़ल ना दे।वही उन्होंने आगे कहा कि रात चाहे कितनी अंधेरी और लम्बी हो सुबह तो होती है और इन्शा अल्लाह होगी, मायूस होने की ज़रूरत नहीं।
महमूद असद मदनी ने किशनगंज के लहरा चौक पर हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए सरकारों को चेतावनी दी कि वह सांप्रदायिक तत्वों और उनके एजेंडे को संरक्षण देना बंद करें। मदनी ने कहा कि सड़कें बनाई जाएं और देश के विकास की पहल की जाए, लेकिन अगर इंसानों के बीच जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव जारी रहा, तो यह देश के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा।
मौलाना मदनी ने अपना संबोधन जारी रखते हुए कहा कि इस देश की वर्तमान स्थिति अत्यंत संवेदनशील और चिंताजनक हैं। दुख के साथ कहना पड़ता है कि एक विशेष वर्ग का वर्चस्व स्थापित करने और अन्य वर्गों को अपमानित करने, हाशिए पर घकेलने और वंचित बनाने के विधिवत और संगठित प्रयास किए जा रहे हैं। इस घृणित अभियान को न केवल सरकार का संक्षरण प्राप्त है बल्कि सरकार ही करवा रही है।उन्होंने कहा कि विशेषकर जब मुसलमानों की बात आती है, तो उन्हें कानूनी रूप से असहाय, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से कमजोर बनाने की साजिशें चरम पर हैं। उनके धर्म, उनकी पहचान और अस्तित्व को अनावश्यक, यहां तक कि असहनीय बना दिया गया है।
मौलाना मदनी ने आगे कहा कि किसी भी सभ्य समाज के लिए न्याय और निष्पक्षता सबसे बड़ी कसौटी है, न्याय और निष्पक्षता के बिना बड़े से बड़ा राज्य और बड़ा से बड़ा देश बाकी नहीं रह सकता। देश में कानून व्यवस्था की स्थापना और अपराध मुक्त समाज का निर्माण न्याय के बिना नहीं हो सकता है, लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि पिछले कुछ समय से अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों और संविधान के कुछ मूल सिद्धांतों की व्याख्या के ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जिन्होंने अदालतों की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। उन्होंने इस संबंध में मस्जिदों को लेकर विभिन्न अदालतों में चल रहे मामलों पर प्रकाश डाला।
वक्फ एक्ट पर बोलते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि वक्फ एक धार्मिक मामला है, मुसलमान पुण्य के लिए अपनी संपत्तियों को वक्फ करते हैं। याद रखिए कि यह वक्फ किसी बादशाह या किसी सरकार का स्वामित्व नहीं हैं, यह सौ प्रतिशत मुसलमानों द्वारा वक्फ की गई संपत्तियां हैं। हमारे देश में वक्फ संपत्तियों की बहुतायत इस बात का प्रमाण है कि इस्लाम धर्म में मानवता की भलाई और कल्याणकारी कार्यों पर कितना जोर दिया गया है और मुसलमानों ने कितनी उदारता के साथ अपनी संपत्तियों को अल्लाह की खुशी और सदक-ए-जारिया (निरंतर चलने वाला दान) के लिए वक्फ की हैं।
यह वक्फ हमारे पूर्वजों की विरासत है, आज हम इसे इस तरह बर्बाद होते नहीं देख सकते। हम दशकों से इसके खुर्द-बुर्द होने और इस पर अवैध कब्जे की शिकायत करते रहे हैं, जमीएत उलमा-ए-हिंद ने बार-बार सरकारों से मांग की है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और रख रखाव एसजीपीसी की तरह किया जाए, लेकिन सरकारों ने रत्तीभर भी ध्यान नहीं दिया और वक्फ की बदहाली का तमाशा देखती रहीं। मौलाना मदनी ने कहा कि वर्तमान सरकार वक्फ अधिनियम में इस तरह से संशोधन कर रही है कि वक्फ के उद्देश्य और उसके लक्ष्य को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए। हम कोई ऐसा संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे जिसका उद्देश्य वक्फ पर सरकारी नियंत्रण को बढ़ाना हो। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सरकारें हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करें, अन्यथा हम आपसे संविधान के दायरे में रहकर लड़ेंगे और आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे।
मौलाना मदनी ने मुसलमानों को नसीहत दी कि कठिन परिस्थितियों में मुसलमानों के कृत्यों और प्रतिक्रिया से धैर्य, रणनीति और बुद्धिमत्ता झलकनी चाहिए। यह समय की मांग है कि मुसलमान अपनी दृष्टि और दूरदर्शिता का प्रदर्शन करें, सकारात्मक और संतुलित पहल के माध्यम से सामाजिक निर्माण और विकास में अपनी भूमिका और मजबूत करें।
गौरतलब हो कि शहर के लहरा चौक में स्थित मैदान में जमीयत के द्वारा इजलास ए आम कार्यक्रम का आयोजन किया गया था ,जहा वक्ताओं ने वक्फ संशोधन विधेयक,संभल,सहित अन्य मस्जिदों और दरगाहों को लेकर चल रहे मामलों पर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला किया साथ ही वक्फ बिल को वापस लिए जाने की मांग की गई।