मधुबाला मौर्या
कुछ पक्ष में बोलेंगे
कुछ विपक्ष में बोलेंगे
कुछ की सहमति होगी
कुछ की असहमति होंगी
कुछ देख के बोलेंगे कुछ गढ़ के बोलेंगे
कुछ तो कड़वा बोलेंगे कुछ मीठा बोलेंगे
कुछ एक सुर में बोलेंगे कुछ अलग से बोलेंगे
कुछ सबको बोलेंगे कुछ तुमको बोलेंगे
कुछ तो बोल चुके कुछ बाकि है
कुछ तो हर बात पे बोलेंगे या कुछ पर ही बोलेंगे
ये जो हर कुछ पे किच- किच करते है
ना खुद पढ़ेंगे ना तुमको पढ़ने देंगे
ना खुद बढ़ेंगे ना तुमको बढ़ने देंगे
ना खुद सुधरेंगे ना तुमको सँवरने देंगे
हर बात पे काटेंगे हर बात पे टोकेंगे
इनकी दकियानूसी दूर भगाओ
इनको अपने से ही दूर बिठाओ
कहे कवयित्री मधुबाला
नारी के उत्थान में
उनके स्वाभिमान में
लोगों को जागरूक बनाओ
ऐसे दो मुंह सापो से
नारी को सम्मान दिलाओ
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