अतिथि संपादक / प्रवीण गोविंद
सुपौल :- ऐसे में जबकि नेतालोग चार पैकेट बांटते हैं और चार सौ लिखवाते हैं, छपवाते हैं, दिखवाते हैं, कोसी अंचल में एक ऐसे भी शख्स हैं जो दाएं हाथ से दान करते हैं, तो बाएं हाथ को भी पता नहीं चलता। होना भी यही चाहिए कि अगर दाएं हाथ दान करे, तो बाएं हाथ को पता नहीं चलना चाहिए। दान की इस महान भारतीय परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ राधे श्याम यादव।
विपदा की घड़ी में जरूरतमंदों के बीच खड़े हैं डॉक्टर साहेब
बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि डॉ यादव महासंकट की इस घड़ी में लगातार गरीब-गुरबों को मदद कर रहे हैं। आज की तारीख में श्री यादव की कृपा से दर्जनों चूल्हे जल रहे हैं। लेकिन कोई प्रचार-प्रसार नहीं। वे खबरनवीसों को प्रायः तस्वीर तक नहीं लेने देते। उनका मानना है कि दान प्रचार की चीज नहीं है। आपको बता दें कि डॉ यादव सिर्फ गरीब-गुरबों को ही नहीं मध्यमवर्गीय लोगों को भी विपदा की इस घड़ी में सहयोग कर रहे हैं। लेकिन तरीका ऐसा कि पत्ता तक नहीं हिलता। क्या मजाल कि किसी को भी यह पता चले कि डॉक्टर साहब ने आज किस-किसको सहयोग किया।
सम्मान के साथ दान की चर्चा हरेक जुबान पर
गरीब-गुरबों की मदद व समाज में प्रेम व भाईचारा का भाव पैदा करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहने वाले डॉ यादव पीड़ितों के बीच लगातार पहुंच रहे हैं।
जिस किसी को भी सहयोग की दरकरार है उसे सहयोग कर रहे हैं। गौरतलब हो कि
कोरोना संकट के समय जारी लॉकडाउन के कारण आमलोगों को हो रही परेशानी के बीच डॉ यादव द्वारा जरूरतमंदों की मदद का सिलसिला जारी है। डॉ यादव ने संकट की इस घड़ी में
दिन-रात मेहनत कर रहे डॉक्टर, अस्पताल कर्मी, पुलिस, मीडिया कर्मी, सफाई कर्मी, बैंक कर्मी आदि के प्रति आभार प्रकट किया है। यहां बता दें कि डॉ यादव आज की तारीख में फुलपरास (मधुबनी) विधानसभा क्षेत्र से जदयू से टिकट के प्रबल दावेदार हैं। इस बाबत जब उनसे पूछा गया तो बोले, अभी राजनीति पर बात होनी ही नहीं चाहिए। अभी सभी को मिलकर कोरोना को हराना है, अभी तो यह देखना है हर किसी का चूल्हा जले। बहरहाल, प्रेम व भाईचारा का भाव पैदा करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहने वाले डॉ यादव द्वारा सम्मान के साथ दान की चर्चा हरेक जुबान पर है। यहां यह भी बता दें कि कोसी-सीमांचल-मिथिलांचल की धरती पर सामाजिक कार्यकर्ताओं के जीवंत चेहरों में से एक बड़ा नाम डॉ साहेब का ही है।