धर्म : सोमवती अमावस्या- 20 जुलाई को इस दिन का है विशेष महत्व

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धर्म /डेस्क

सोमवार के दिन अमावस्या आने पर इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं ।

अमावास्या तु सोमेन सप्तमी भानुना सह।
चतुर्थी भूमिपुत्रेण सोमपुत्रेण चाष्टमी।।
चतस्रस्तिथयो स्त्वेताः सूर्यग्रहण सन्निभाः।
स्नानं दानं तथा श्राद्धं सर्वं तत्राक्षयं भवेत्।।

सोमवारी अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी एवं बुधवारी अष्टमी ये चारो तिथियाँ सूर्यग्रहण के समान कही गईं हैं, इनमे जो स्नान, दान, श्राद्ध किया जाता है वह सब अक्षय होता है ।

अमावस्या और सोमवार का योग जहाँ-जहाँ मिल जाये वहाँ ही वहाँ श्रेष्ठ है क्योंकि तीर्थ, गंगा, पुष्कर, एवं दिव्य अंतरिक्ष और भूमि के जो सब तीर्थ हैं सोमवारी अमावस्या के दिन वहीं रहते हैं ।

क्या करें इस दिन :

अगर किसी तीर्थ क्षेत्र में स्नान कर सकते हैं तो अत्ति उत्तम ।

अन्यथा अगर घर पर हैं तो पानी में गंगाजल एवं तिल मिलाकर स्नान करें ।
जहाँ भी स्नान करें तीर्थराज प्रयाग को जरुर स्मरण करें ।

अमावस्या नारायण की परम प्रिय तिथियों में से एक है अतः विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरुर करें ।

महादेव का अभिषेक एवं यथासंभव पूजन करें ।

प्रातः काल पीपल का पूजन करें ।
पीपल को जल अर्पित करें, पीपल के नीचे दीपक जलायें ।
लेकिन परिक्रमा आप 108 करें और हर परिक्रमा के साथ एक बताशा या थोड़ी शक्कर(चीनी) पीपल के नीचे रखते जाएँ !
बताशे या शक्कर की जगह आप सफ़ेद मिठाई का भी उपयोग कर सकते हैं ।
पितरों की कृपा प्राप्त होगी, दरिद्रता का नाश होगा ।
और कुछ करें न करें आज पीपल का पूजन जरुर कीजिये !

ब्राम्हणों एवं जरुरतमंद व्यक्तियों को चावल, दूध, शक्कर, नमक, सफ़ेद तिल, सफ़ेद वस्त्र इत्यादि का यथासंभव दान करें ।

गौ सेवा अर्थात गाय को चारा या जो संभव हो खिलायें, कौओ को कुछ भोजन दें, चीटियों के निम्मित आटे एवं शक्कर को मिलाकर किसी पेड़ के निचे रखें, मछलियों को दाना दें।

पितरों के निम्मित एक नारियल बहते जल में प्रवाहित करें एवं उनसे आपके ऊपर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखने की प्रार्थना करें ।

भूलियेगा मत: जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरों का अन्न खाता है उसका महीने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को चला जाता है !

नमो नारायण
हर हर महादेव

साभार : नसीबवाला

धर्म : सोमवती अमावस्या- 20 जुलाई को इस दिन का है विशेष महत्व

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