अररिया / अरुण कुमार
नप प्रशासन फारबिसगंज विगत सात आठ सालों से विवादों में घिरी रही है.यहाँ गलत ढंग से जितने अविष्कार हुए शायद हीं बिहार के किसी नगर परिषद् या निगम में हुए होंगे. घोटाले में दबी फारबिसगंज नप के कारनामे की लंबी फेहरिस्त है. इसके अलावे कचरा उठाने वाले एक फर्जी एनजीओ का गलत ढंग से किया गया एकरारनामा, बिना टेंडर किए ई रिक्शा की खरीददारी व अन्य ऐसे घोटाले हैं जिसका जवाब नप प्रशासन के कार्यपालक पदाधिकारी व अन्य मास्टरमाइंड कर्मीयो के पास नहीं है।
ऐसा इसलिए भी की सभी की संलिप्तता कथित तौर पर कहीं न कहीं शामिल है. उक्त बातें सामाजिक कार्यकर्ता दक्षिणेश्वर प्रसाद राय पप्पू ने कही है. सामाजिक कार्यकर्ता ने पहले हीं नप प्रशासन को चेता दिया है की उनकी कारगुजारियों का फल हर हाल में नप के कार्यपालक पदाधिकारी व उनके सहयोगियों भुगतना हीं पड़ेगा और वे किसी सुरत मे जनता के साथ हुई नाइंसाफी को बर्दाश्त नहीं करेंगे. सामाजिक कार्यकर्ता ने पहले हीं जनहित याचिका दायर करने की बात कही है और उन्होंने बताया है की सभी जरुरी साक्ष्य के साथ वे आर्थिक अपराध इकाई व विजलेंस के वरीय पदाधिकारी सेआवश्यक कारवाई हेतु आग्रह करेंगे.
इसके साथ हीं रेलवे के वरीय पदाधिकारीयों से भी जल्द मुलाकात कर उन्हें जमीनी वस्तु स्थिति की जानकारी साक्ष्य के साथ देंगे. सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया की वे गुमटी नंबर 315 साहनी बेगम व अन्य 410 गुमटी धारकों के साथ हुए अन्याय व अत्याचार के खिलाफ मुस्तैदी से सभी पीड़ितो के साथ खड़े है और हर हाल में नप प्रशासन को अपने किए की सजा दिलवा कर हीं दम लेंगे.
भ्रष्टाचार के आकंठ में डुबी नप प्रशासन फारबिसगंज के पाप का घडा ओवर फ्लो हो चुका है. एक एक गुमटी का दो बार रसीद कैसे काटा गया है? कर संग्रहकर्ता किसके आदेश पर दो तरह की रसीद काटी गई है और जमकर अवैध उगाही करते रहे हैं ? इतना बडा फर्जीवाड़ा लोकतांत्रिक मर्यादाओं चीर हरण से कम नहीं है और ऐसा करने वाले जेल जाने की तैयारी कर लें.