एसपी ने लोगो को जागरूक करने के लिए पुलिस पदाधिकारियों को दिया निर्देश
नैरोबी मक्खी उर्फ एसिड फ्लाई मक्खी से भयाक्रांत होने की आवश्यकता नहीं है :चिकित्सक
किशनगंज /सागर चन्द्रा
कोरोना की लहर से अभी शहरवासी उबरे भी नहीं थे कि नैरोबी मक्खी ने इलाके में आतंक मचा दिया है। हालांकि संभावित खतरे को लेकर स्थानीय स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लिया है। एसपी इनामुल हक मेगनू ने जिले के पुलिस पदाधिकारियों को नैरोबी मक्खी के संक्रमण से रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करने का निर्देश दिया है। लेकिन सोमवार को स्थानीय सदर अस्पताल में डुमरिया और तांतीबस्ती निवासी तीन संक्रमित व्यक्ति के इलाज के लिए पहुंचते ही एक बार फिर से लोग भयाक्रांत हो गये हैं।
हालांकि सदर अस्पताल में इलाज के बाद सभी संक्रमित व्यक्तियों को छुट्टी दे दी गई। वहीं सदर अस्पताल के चिकित्सक राहुल कुमार ने बताया कि नैरोबी मक्खी उर्फ एसिड फ्लाई मक्खी से भयाक्रांत होने की आवश्यकता नहीं है। मामूली सावधानी बरत कर इस रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि जिस इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है उनपर विषाक्त पेडेरिन ज्यादा असर करता है। ऐसे लोग त्वचा के संक्रमण के साथ साथ बुखार, जोड़ों में दर्द उल्टी आदि समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं। पेडेरिन के आंखों के संपर्क में आने पर तो वह आंखों के गंभीर संक्रमण का शिकार हो जाता है।
नेरोबी मक्खी काटती नहीं है
डा.राहुल ने बताया कि नेरोबी मक्खी काटती नहीं है। इनके भीतर सहजीवी बैक्टीरिया मौजूद रहता है। जो पेडेरिन नामक अम्लीय का निर्माण करता है। नेरोबी के द्वारा छोड़ा गया द्रव्य इंसान की त्वचा पर जलन, सूजन और घाव बना देता है।त्वचा के संपर्क में आने के 24 घंटे के बाद त्वचा पर तरल पदार्थ भरे फफोले बन जाते हैं।
समय रहते इलाज कराना आवश्यक
डा.राहुल ने बताया कि संक्रमण का पता चलते ही पीड़ित को चिकित्सक की सलाह लेनी होगी। अन्यथा पीड़ित गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित हो जाऐगा।
बचाव के उपाय
मक्खी अगर शरीर पर बैठे तो इसे छूना नहीं चाहिए। इसे छूने या मसलने से वह पेडेरिन नामक जहरीला पदार्थ उत्सर्जित करती है। उन्होंने बताया कि संक्रमण से बचने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़ें पहनें। ताकि त्वचा से इसका संपर्क ना हो सके। संक्रमण का आभास होते ही चिकित्सीय परामर्श लें। घबराऐं नहीं ससमय समुचित इलाज प्रारंभ हो जाने से संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।