राजेश दुबे
नेपाल द्वारा भारतीय समाचार चैनलों पर प्रतिबंध लगाने के बाद दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ गई है ।मालूम हो कि नेपाल से भारत का ना सिर्फ सांस्कृतिक रिश्ता है बल्कि अध्यात्मिक रिश्ता भी है उसके बावजूद विगत दो महीनों से दोनों देशों के बीच बढ़ी तल्खियों का असर नागरिकों के रिश्तों पर पड़ने लगा है ।
रोटी और बेटी के संबंध में दरार पैदा करने का कार्य खुद नेपाल के द्वारा किया गया । नेपाल की के पी ओली सरकार ने पहले विवादित नक्शा पास किया उसके बाद नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर नेपाली नागरिक से विवाह करने वाली विदेशी महिलाओं को नागरिकता प्राप्त करने के लिए सात साल प्रोबेशन पीरिएड पूरा करना अनिवार्य करने की बात कही गई और अब टीवी चैनलों को बंद कर दिया
नेपाल सरकार द्वारा आनन फानन में लिए गए फैसले से सीमा क्षेत्र में रहने वाले ऐसे नागरिक जिनके बेटियों का विवाह नेपाल में हुआ है वो चिंतित है । बता दे कि किशनगंज जिले से सटे नेपाल सीमा के दिघलबैंक ,टेढ़ागाछ ,ठाकुरगंज ,गलगलिया के सैकड़ों नागरिकों का रिश्ता नेपाल से है ,किसी के घर में नेपाल की दुल्हन है तो किसी ने नेपाल में अपनी बेटी की शादी की है ।
वहीं ऐसे परिवारों की लड़कियां जिनका विवाह नेपाल में हुआ है और भारतीय समाचार चैनल देख कर भारत की खबर उन्हें मिल जाती थी ,अब नहीं देख पाने की टीस उनमें है ।नेपाल भद्रपुर की सीमा ने बताया कि सिर्फ दूरदर्शन का प्रसारण होता है अन्य समाचार चैनल बंद है जिसकी वजह से वो भारत की खबरों से दूर हो गई है ।
चीन की सह पर नेपाल ने जो कदम उठाया है उसका निकट भविष्य में गहरा प्रभाव पड़ेगा जरूरत है कि जल्द से जल्द ठोस पहल कर दोनो देशों के बीच की खाई को भरा जाए ताकि रिश्तों में उत्पन्न खटास दूर हो ।