राजेश दुबे
कोविड 19 से बचाव को लेकर रेल गाड़ियों का परिचालन थमने से स्टेशन पर काम करने वाले कुलियो की स्थिति दयनीय है ।मालूम हो कि लॉक डाउन भले खुल गया हो और अभी अनलॉक चल रहा हो लेकिन बीमारी की वजह से हर तबक़ा बेज़ार है । स्टेशन वीरान हैं ।प्लेटफॉर्म पर मातमी सन्नाटा है ।लोग खुद को बचाने की जद्दोजहद कर रहे है ।
मगर इन सब के बीच समाज का एक तबक़ा ऐसा भी है जो रोज कमाता है तो रोज रोटी नसीब होती है । किशनगंज स्टेशन पर काम करने वाले कुलियों की जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चलती है ।लेकिन ट्रेन की रफ्तार क्या रुकी ।इनकी जिंदगी और दो जून की रोटी पर भी ब्रेक लग गया है ।

किशनगंज स्टेशन पर मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का गुजर बसर करने वाले कुलियों की जिंदगी थम सी गई है ।कोरोनो की वजह से किये गए लॉक डाउन ने इनके रोजगार पर भी ग्रहण लगा दिया है ।
मालूम हो कि वर्तमान में किशनगंज स्टेशन से 6 रेलगाड़ियां गुजरती है लेकिन रुकती सिर्फ 3 ही है ।जिस वजह से इनकी रोजी रोटी के लाले पड़ गए हैं
रोज घर से निकल कर काम की तलाश और जो काम मिला उसे कर अपनी जरूरतों को पूरा करना इनके लिए चुनौती बन गई है ।कुलियों का कहना है
कि एक तरफ जिंदगी महफ़ूज रखने की चुनौती है तो दूसरी तरफ भूख की तपिश चैन से जीने नही देती है आखिर करें तो क्या करें।
स्टेशन के आस पास बसे सैकड़ो कुलियों के सामने यह विकट समस्या खड़ी हो गई है ।कोई दैनिक मजदूरी कर अपनो की परवरिश कर रहा है तो कोई काम की तलाश में भटक रहा है।