देश /डेस्क
देश के अलग अलग राज्यो मे हुई घटनाओं पर छिड़ी बहस और विपक्षी एकता की गूंज के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जनता के नाम पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया है कि वह विचार करे कि आजादी की 100 वर्षगांठ 2047 के अवसर पर वह कैसा भारत चाहते है?
पांच राज्यों के चुनावों में देश के अलग-अलग कोनों में भाजपा को मिली सफलता इस बात का प्रमाण है कि अब केवल जनता के हितों की राजनीति ही स्वीकार्य होगी। श्री नड्डा का यह पत्र सोनिया गांधी के उस पत्र का जवाब माना जा रहा है जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि सत्तारूढ़ दल विभाजनकारी सोच को ही राजनीति का स्थाई आयाम बना देना चाहता है।
विश्व बैंक की रविवार को जारी हुई एक रिपोर्ट के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले आठ साल के शासनकाल में भारत में गरीबी में 12 प्रतिशत की भारी कमी आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2011 में देश के ग्रामीण इलाकों में गरीबी दर 26.3 प्रतिशत थी जो 2019 में घटकर केवल 11.6 प्रतिशत रह गई है। जबकि शहरी मामलों में यही गिरावट 14.2 प्रतिशत से कम होकर 6.3 प्रतिशत पर आ गई है।
इसी रिपोर्ट के आधार पर जेपी नड्डा ने दावा किया है कि भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की नीतियों को जनता पसंद कर रही है, जबकि उन लोगों की राजनीति को देश ने नकार दिया है जो अब तक केवल जाति-धर्म के आधार पर वोटबैंक की राजनीति करते रहे हैं। इशारों-इशारों में कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा है कि हाल ही में कई राज्यों में करारी हार के बाद भी कुछ राजनीतिक दल अपनी गलती को समझने और स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।
गौरतलब हो की, सोनिया गांधी ने अपने पत्र में यूपीए सरकार के उस फॉर्मूले का भी जिक्र किया था जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि यदि जनता को सुरक्षा का वातावरण दे दिया जाए तो वह अपना विकास स्वयं कर लेती है। मनमोहन सिंह ने सामाजिक सौहार्द्र को भी देश के विकास के लिए अहम माना था और कहा था कि सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ने से विकास बाधित होता है और निवेश प्रभावित होता है। इसी आधार पर सोनिया गांधी ने देश के वर्तमान हालात पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि देश में सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ता है तो इससे देश का विकास प्रभावित होगा।
विश्व बैंक के आंकड़ों के हवाले से नड्डा ने यही साबित करने की कोशिश की है कि यूपीए की नीतियां देश को गरीबी के जाल से मुक्त कराने में असफल रही हैं जबकि एनडीए ने अपने शासनकाल में अपनी नीतियों के सहारे देश के गरीबों को गरीबी से मुक्ति दिलाने में सफलता पाई है। इस प्रकार मनमोहन सिह सरकार की नीतियां बहुत प्रभावशाली नहीं कही जा सकतीं।
दरअसल, सोनिया गांधी ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि वर्तमान सरकार देश के एक वर्ग को दूसरे वर्ग के खिलाफ खड़ा करने का प्रयास कर रहा है, नड्डा ने इस पर करारा हमला करते हुए कहा कि इस तरह के हमलों के मामले में पक्षीय सोच को स्थान नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा है कि जो लोग दे के दूसरे हिस्सों में हो रहे अपराध पर चिंता व्यक्त करते हैं, वे राजस्थान के करोली में हुई हिंसा पर चुप्पी साध लेते हैं। यह चुप्पी देश स्वीकार नहीं करेगा।