देश :रक्षा राज्य मंत्री ने डीआरडीओ के रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधन प्रयोगशाला का निरीक्षण एवं कार्यों की समीक्षा की 

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देश /एजेंसी 

रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने उत्तराखंड में डीआरडीओ के रक्षा जैव-ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (डीआईबीईआर) प्रयोगशाला, हल्द्वानी तथा इसके फील्ड स्टेशन पिथौरागढ़ का दौरा किया। उन्होंने डीआईबीईआर द्वारा विभिन्न अनुसंधान एवं विकास के प्रयासों में प्रगति की समीक्षा की।बता दे की देवदार के वन के कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए डीआईबीईआर के प्रयास दूरदराज के क्षेत्रों में स्पेस हिटिंग तथा बिजली उत्पादन संबंधी समाधान खोजने की दिशा में प्रेरित हैं, जहां जलवायु की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण ग्रिड की आपूर्ति अक्सर बाधित होती है।रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया कि  चूंकि देवदार के जंगल के कचरे से जंगल में आग लगने की हजारों घटनाएं होती हैं, ऐसे में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए देवदार के जंगल के कचरे का उपयोग एक महत्वपूर्ण समाधान है।






मंत्रालय द्वारा बताया गया कि डीआईबीईआर द्वारा तैयार किया गया बायोडीजल आईएस 15607 मानकों के अनुरूप है। पेट्रो-डीजल में 20 प्रतिशत के मिश्रण पर सेना के वाहनों और जनरेटर सेटों में इसका परीक्षण करने पर  उपयुक्त पाया गया और अनुशंसित किया गया। वही बताया गया कि डीआईबीईआर की एक अन्य मिशन मोड गतिविधि उत्तराखंड के सुदूर सीमावर्ती गांवों में स्थित किसानों को देशी तथा विदेशी सब्जियों की खेती के लिए उन्नत तकनीक हस्तांतरित करना है। 4,000 से अधिक किसान डीआईबीईआर के साथ पंजीकृत हैं और लाभान्वित हो रहे हैं। 

श्री अजय भट्ट ने हाइड्रोपोनिक्स (मिट्टी रहित खेती) की बहुत सराहना की और इस तकनीक को उन क्षेत्रों में फैलाने का सुझाव दिया जहां खेती योग्य भूमि की कमी है। लगभग एक लाख रोगियों द्वारा ल्यूकोडर्मा के इलाज के लिए डीआईबीईआर द्वारा निर्मित हर्बल दवा का उपयोग किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि मानव जाति के लाभ के लिए यह दवा बड़ी जनसंख्या तक पहुंचनी चाहिए।बता दे की कल्चर द्वारा एक लुप्तप्राय उच्च मूल्य औषधीय मशरूम ओफियोकोर्डिसिप्स को विकसित करने की तकनीक, बड़ी जनसंख्या को पोषण लाभ प्रदान करने तथा अर्थव्यवस्था में सुधार करने में दूरगामी प्रभाव डालती है।

रक्षा राज्य मंत्री ने हल्द्वानी में कंटेनर आधारित बीएसएल-III संयंत्र का भी उद्घाटन किया। यह उत्तराखंड की पहली कंटेनर आधारित बीएसएल-III संयंत्र है। कंटेनर आधारित संयंत्र होने के कारण, इसे आसानी से जगह की कमी वाली पहाड़ियों में तैनात किया जा सकता है। इस संयंत्र की क्षमता 96 सैंपल प्रति शिफ्ट है। यह संयंत्र ऋणात्मक दबाव में संचालित होता है, इसलिए अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों को उच्च सुरक्षा प्रदान करता है।     











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