कोरोना : चीन की खतरनाक करामात !!

बेहतर न्यूज अनुभव के लिए एप डाउनलोड करें

सुशील दुबे

जून 2019 , दुनिया सामान्य रूप से चल रही थी।

तभी चीन के तानाशाही सरकार ने एक कानून बनाया और अपने समस्त नागरिकों पर वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया।

अनिवार्य का अर्थ, आवश्यक अनिवार्य क्योंकि बात चीन की हो रही है, और नतीजा भी यही रहा कि लोगों को पकड़ कर कई सारे टीके दिए गए।

टीकाकरण का भय इस कदर हावी हो रहा था कि चीन की इस सुगबुगाहट ने खुद चीन में ही कइयों का कान खड़े कर दिए थे।

दुनिया मे इस खबर की नाम मात्र चर्चा रही क्योंकि चीन में क्या चलता है और किस मकसद से चलता है यह सिर्फ सरकारी तंत्र के अलावे कोई जान नही सकता।

खैर बात आई और गयी, कहा जा रहा है कि चीन ने अक्टूबर माह तक अपने देश के 70% आबादी का टीकाकरण कर दिया।

यह वह समय था जब वुहान में अज्ञात बीमारी की शोर सुनाई देने लगी थी।

दिसंबर आते आते वुहान के क्षेत्र में लोग बीमार पड़ने लगें और ठीक भी हो रहे थे।

फिर किसी विषाणु शोध संस्थान ने इस बात की पुष्टि कर दी कि यह कोई नया विषाणु है।

जनवरी 2020 आते-आते दुनिया भर में यह विषाणु फैलने लगा, भारत भी इसकी जद से ज्यादा दूर न था, नतीजा मार्च 2020 तक माहौल बिगड़ने लगे, और नतीजतन सरकार ने पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी।

वही गौर करे तो देश मे सिंतबर माह तक मामले सबसे उच्च शिखर पर पहुंच गए थे और फिर आँकड़े घटने लगे, दिसंबर तक सब कुछ लगभग सामान्य हो चुका था, दुनिया मे वैक्सीन की बात हो रही थी और नए वर्ष का स्वागत धूमधाम से करने की तैयारियां चल रही थी।

वही चीन की बात करे तो चीन में इतनी विशाल आबादी में केवल 90829 केस और 4636 मौतें हुई थी।

चीन में दबी जुबान से खबर उठती रही कि चीनी सरकार आँकड़े छुपा रही है।

वही चीन ने अपने देश मे इस विषाणु के विषय मे बोलने लिखने वालों को ऐसे डील किया कि मामला सब शांत ही रहा।

और

चीन से निकला वायरस चीन में ही ठंडा पड़ चुका था। और वही इसके विपरीत यूरोपीय देशों के स्वास्थ्य सेवाओं ने तो घुटने टेक दिए थे।

नागरिक मर रहे थे और सरकारें लाचार हो गयी थी।

अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार को गिराने का एक श्रेय इस बीमारी को भी जाता है जिसने अमेरिका में ऐसे माहौल बनाने में पूर्ण सहयोग दिया की ट्रम्प सरकार फैल हो गयी और लोग मर रहे हैं।

मालूम हो कि खबरे ऐसे भी आती रही कि यूरोपीय देशों में अब भी कई हजार लाशों को डीप फ्रिज में रखा गया ताकि उनके अंतिम संस्कार को धीरे धीरे किया जा सके,क्योंकि उनकी व्यवस्था चरमरा गई है। इतने बड़े संख्याओं में मृतकों को दफनाने के जगह नही मिल रहे थे।

वही चीन ने जहाँ अन्य देश के नागरिक जान बचाने की जुगाड़ में भाग रहे थे, वह अपनी फैक्टरियों से दिन रात एक कर कच्चे माल और अन्य जरूरी सामानों की निर्यात में लगा रहा।

और इन्ही का नतीजा रहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में 18 % के लगभग उछाल आया।

बात जो भी रही हो, परंतु आज चीन ने दुनिया की सारी बड़े देशों की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया है।

इन सब के बीच अब जो सवाल उठ रहे हैं वह यह है कि चीन ने बिना हथियार युद्ध किये दुनिया की तमाम देशों को घुटनों के बल पर रोक दिया है।

इन सब के साथ उठते हैं कुछ सवाल-

क्या यह किसी साजिश का हिस्सा नही की वैश्विक मीडिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन जो चाइनीज वायरस कहने में डर रहा था, परंतु आज दुनियाभर में कोविड विषाणु के भारतीय रूप की चर्चा कर रही है ?

जब विषाणु भारत का नही तब इसके भारतीय प्रारूप कहाँ से उतपन्न हो गए ?

क्या यह प्रश्न गम्भीर नही की वर्ष 2020 में जहाँ कोरोना हार चुका था , देश की स्वास्थ्य सेवाओं ने उम्दा प्रदर्शन किया था, वहीं जनवरी 2021 के आरंभ होने के साथ ही ब्राज़ील के म्युटेंट , इंग्लैंड के म्युटेंट की चर्चा होने के साथ ही भारत मे डबल म्युटेंट वायरस मिलने लगे थे, जिनके परिणामस्वरूप मीडिया ने देश मे ऐसे हल्ला बोल की शुरुआत कर दी की देश मे ऑक्सिजन नही है, रेमेडीसीवीर इंजेक्शन नही है और जिसके परिणामस्वरूप कालाबाज़ारी शुरू हो गई और स्थिति अब तक सामान्य नही हो सकी।

क्या यह चीन पोषित उन वैश्विक स्तर के भ्रष्टाचार की ओर नही इशारा करती जिसने देश मे तमाम बड़े विपक्षी दलों के नेताओ को अपने ही देश के विरुद्ध बयानबाजी करने का अवसर दिया ?

जहाँ चीन अपने वामपंथी समाचार पत्र एवम सोशल मीडिया द्वारा भारतीयों की इस महामारी के दौर में भी मजाक उड़ाने से बाज नही आ रहा, और साथ ही भारतीय सीमाओं के आसपास पुनः सैन्य हरकतों में तेज़ी ला रहा है, यह उन गम्भीर स्थिति की ओर इशारा करता है जो साबित करती है कि चीन एशिया महाद्वीप के साथ साथ वैश्विक स्तर पर भी अस्थिरता बनाना चाहता है ताकि उसकी वामपंथी मनोविकृति को बल मिलता रहें।

साथ ही हमे उन सब बिंदुओं पर भी गौर करना होगा कि चीन ऐसे समय पर जहाँ दुनिया मानवता को बचाने में लगी है वह व्यापार को पोषण दे रहा है और सुदूर अफ्रीकी देशों के कई गरीब देश उसके कर्ज तले दबते जा रहे हैं जिनकी जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर वह कब्जा करने की चाहत रखता है।

चीन ने सिनोवैक नाम की वैक्सीन दुनियाभर में सप्लाई कर दी, परंतु जिसका प्रतिरोधक क्षमता और असर 60% के लगभग ही है, बांग्लादेश ,पाकिस्तान और तमाम छुटभैये देश जो अनुदान आधारित जीवन जी रहे हैं उनके ऊपर चीन ने अपने वैक्सीन प्रयोग का दबाव बनाया हुआ है।

अपने देश की सर्वोत्कृष्ट डी आर डी ओ जैसी संस्था ने कोरोना महामारी पर अपने शोध कार्य को एक दवा रूप में बाजार में उतार रही है,
जिसके सेवन से तुरंत कोरोना विषाणु नष्ट हो जाएंगे, यह आने वाले दिनों में बहुत ही सहायक सिद्ध होगा।

वही टीकाकरण की बात करे तो देश मे 18 करोड़ लोगो के टीकाकरण के साथ ही रिकवरी दर भी बढ़ रही है जो कि एक अच्छी खबर है।






फोटो साभार : गूगल

कोरोना : चीन की खतरनाक करामात !!

error: Content is protected !!