किशनगंज /संवादाता
बिहार में पीडीएस सिस्टम में बड़ा क्रांतिकारी बदलाव होने जा रहा है। बिहार राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने बताया कि बिहार में अब सभी पीडीएस दुकानों के तहत गरीबों को मिलने वाले अलवा चावल के बदले उषना चावल दिया जाएगा। साथ ही उषना चावल का उत्पादन बढ़ाकर बिहार में में ही उत्पादित और निर्मित उषना चावल बिहार के लोगों को खिलाने का निर्णय लिया है और कुछ माह के अंदर बिहार की सभी पीडीएस दुकानों पर लोगों को उषना चावल मिलेगा।
प्रेस वार्ता में उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर राईस मिल्लरो के साथ सभी अधिकारियो की एक बैठक हुई थी जिसमें अहम निर्णय लिया है कि अब अलवा का प्रचलन समाप्त करेंगे और उष्ना चावल लाएंगे। उन्होने बताया कि उषना चावल के लिए जो भी राईस मिलर्स है उनकी मीटिंग हो गयी कि अब आप उषना का उत्पादन कीजिए। उन्होने बताया कि सूबे के लोग अलवा चावल पसंद नही करते थे इसलिए लोकहित में यह निर्णय लिया गया है ।
बिहार राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष विधानन्द विकल ने बताया कि जिला में 3 लाख 44 हजार 170 राशनकार्डधारी थे, वही लॉक डाउन के दौरान अतिरिक्त 46 हजार 522 नए राशन कार्ड बनाये गए हैं। उन्होंने बताया कि जिले में कुल प्रत्येक माह 88 हजार 682.28 क्विंटल अनाज का आवंटन है जिसमें 550 पीडीएस डीलर है और 320 डीलरों की दुकान रिक्त हैं जिसका बहाली होना है और जल्द बहाल करने का निर्देश उन्होंने सम्बंधित विभाग के अधिकारियों को दिया है।
उन्होने कहा कि कालाबाजारियों को किसी भी कीमत में बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ स्प्रिडि ट्रायल चलाकर सजा दी जाएगी। किशनगंज में एक कालाबजारी के आरोपित पर स्पीडी ट्रायल चलाने का निर्देश भी दिया है।उन्होंने कहा कि कालाबाजारियों पर स्पीडी ट्रायल चलाकर सजा दिलाये जाने से लोग गरीबों के अनाज को कालाबाजारी करने से डरेंगें। बिहार राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष विधानन्द विकल ने बताया कि नए राशनकार्ड को बनाने और राशनकार्ड से परिवार के सदस्यों का नाम अलग करने में प्रोसेस में काफी समय लगाता था, इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कार्य चल रहा है। उसके बाद लोगों को नए कार्ड बनाने के लिए कार्यालय का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा।