किशनगंज /चंदन मंडल
भारत – नेपाल सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले ग्रामीण जिनका नेपाल से रोटी और बेटी का संबंध है आज कल कठिनाइयों से गुजर रहे है .बीते 8 महीनों से सीमा सील होने की वजह से कई तरह की कठिनाईयों से यहां के निवासी गुजर रहे है ।जिसके बाद अब इनके सब्र का बांध टूटता जा रहा है.
किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के गलगलिया एवं बंगाल के डांगुजोत , यह सभी भारत-नेपाल की सीमा से सटा हुआ है और यहां से सिर्फ आधा किमी की दूरी पर नेपाल है. इन क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों लोग रोजी रोटी के लिए नेपाल पर निर्भर है तो वहीं बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक भी हाट बाजार करने भारतीय इलाकों में आते थे . अब यह दृश्य देखने को नहीं मिल रहा है. कोरोना कि वजह से महीनों से सीमा सील है ।
जिसके कारण भारत नेपाल सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले ग्रामीण की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है . उनलोगों का नेपाल से ही रोजी रोटी चलता था. इस संबंध में जब स्थानीय लोगों से बातचीत की गई तो नाराजगी उनके चेहरे पर प्रशासन के खिलाफ साफ साफ दिखाई पड़ी. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया अब अगर बॉर्डर नहीं खुली तो हमलोग गलगलिया बॉर्डर से होकर भारत का एक भी सामान नेपाल में प्रवेश होने नहीं देंगे. लोगों का कहना कि अमीर लोग कपड़े सहित अन्य सामान कस्टम कटाकर नेपाल में भेज रहे हैं और अपना व्यपार पहले की तरह कर रहे हैं. और हम गरीब नेपाल खुलने की आस लगाए बैठे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर बॉर्डर नहीं खुली तो भारत का एक भी समान नेपाल जाने नहीं दिया जाएगा। इसके बावजूद भारत का सामान नेपाल में भेजने की कोशिश की गई तो हमलोग इसका विरोध करेंगे. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है की हम लोग हर दिन बॉर्डर खुलने का इंतजार करते है. ताकि रोजगार के लिए आवागमन हो सके .लेकिन सरकार द्वारा किसी तरह की कोई सूचना अभी तक बॉर्डर खुलने को लेकर नहीं दी गई है जिससे परेशानी बढ़ी है .ग्रामीणों ने बताया कि भारत नेपाल सीमा बंद हुए इतने दिन हो गए क्या भारत सरकार या नेपाल सरकार कुछ सरकारी गाइडलाइंस जारी करके बॉर्डर नहीं खोली सकती है. जिससे हमलोगों को रोजगार के लिए नेपाल आना जाना हो सकें.