सत्ता की हनक में मदमस्त हाथी की तरह महाराष्ट्र सरकार ने घोंटा चौथे खंभे का गला

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राजेश दुबे

सत्ता की हनक में मदमस्त हाथी की तरह मुंबई पुलिस ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए रिपब्लिक भारत के एडिटर इन चीफ को गिरफ्तार कर लिया ।आज का दिन राष्ट्रवादी मीडिया के लिए किसी काले दिन से कम नहीं है ।

अर्णब गोस्वामी ने बीते कुछ दिनों से चाहे वो पालघर में संतो की हत्या का मामला हो या फिर सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच को लेकर मुंबई पुलिस द्वारा कि गई लीपापोती को बड़ी बेबाकी से देश की जनता के समक्ष प्रस्तुत किया ,जो कि मुंबई पुलिस को हज़म नहीं हुआ ।

अर्णब गोस्वामी के खिलाफ पुलिस करवाई करेगी वह उसी दिन से प्रतीत होने लगा था जब पालघर में संतो कि हत्या के बाद उन्होने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी ,जिससे नाराज़ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देश भर के थानों में सैकड़ों मुकदमा अर्णब के खिलाफ दर्ज करवाया था,फिर सुशांत सिंह राजपूत मामला और मुंबई में चल रहे ड्रग माफिया पर किए गए खुलासे ने ड्रग्स माफिया , बॉलीवुड माफियाओं को और हतोत्साहित किया ,रिया चक्रवर्ती के जेल जाने ,दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर जैसी अभिनेत्रियों से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा की गई पूछताछ ने पूरे बॉलीवुड माफिया को हिला कर रख दिया ।

बॉलीवुड माफिया जैसा कि रिपोर्टों से पता चलता है कि इन्हें महाराष्ट्र में सत्ता का संग्रक्षण प्राप्त है ,और

बॉलीवुड के दर्जनों कलाकारों ने अर्णब के आवाज को दबाने के लिए न्यायालय तक का शरण लिया ,लेकिन न्यायालय ने इनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया ,जिसके बाद मुंबई पुलिस ही एक मात्र ऐसा सहारा था । जिसके जरिए फर्जी टीआरपी घोटाले में फंसाने की कोशिश हुई और अब 2 साल पूर्व एक आत्महत्या के मामले में फसा कर गिरफ्तार कर लिया गया , यहां यह समझना आवश्यक है कि उक्त मामले को 2 साल पहले ही पुलिस ने बंद कर दिया था ।देश में 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया था और प्रेस कि आजादी सहित तमाम गतिविधियों को कुचलने का काम इंद्रा गांधी ने किया था ,2 वर्षों से भी अधिक समय तक चले आपातकाल में असंख्य अत्याचार किए गए थे ।

आज 47 वर्षों बाद पुनः कांग्रेस समर्थित उद्भव ठाकरे की सरकार ने अर्णब को गिरफ्तार करवा कर उसी राह पर चलने की कोशिश की है ।आज केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं है ,कांग्रेस नेतृत्व द्वारा किए गए ऐसे ही कुकृतो के कारण कुछ राज्यो तक ही पार्टी का जनाधार सिमट कर रह गया है ,बावजूद कांग्रेस पार्टी या उद्भव ठाकरे कोई सबक नहीं लेना चाहते ,ले भी क्यों, क्योंकि स्वयं स्व बाल ठाकरे ने आपातकाल के दोनों में गिरफ्तारी के भय से इंद्रा गांधी के समक्ष घुटने टेक दिए थे ,उन्होने आपातकाल का खुले आम समर्थन किया था ।

आज उनके बेटे उद्भव सत्ता में है, सत्ता कि हनक में दुर्भावना से ग्रसित होकर अर्णब को गिरफ्तार करवा लेते है ।इस करवाई के बाद एक और दुखद पहलू जो सामने आया है वो यह है कि मीडिया के बड़े घरानों के नामचीन पत्रकार आज मूकदर्शक बन तमाशा देख रहे है, जो अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस में सिर्फ कुछ घंटो के लिए रिपोर्टिंग करने से रोके जाने के बाद मीडिया कि स्वतंत्रता पर कुठाराघात और ना जाने क्या क्या बयानबाजी कर रहे थे ,यही नहीं बीते 6 वर्षों में कई बार ऐसा मौका आया जब देश की वामपंथी मीडिया ने अपने दायरे से बाहर जाकर रिपोर्टिंग की और जब उनसे कारण पूछा गया तब इन्होंने केंद्र सरकार द्वारा कि गई करवाई को मीडिया की स्वतंत्रता से जोड़ कर देश के एक वर्ग को खुश करने की कोशिश की,यही नहीं एनडीटीवी चैनल ने स्क्रीन काला कर लिया था, जबकि केंद्र सरकार द्वारा सिर्फ रविश कुमार को एक नोटिस भेजा गया था ।कहते है कुत्ता कुत्ते का मांस नहीं खाता लेकिन अर्णब के मामले में लुटियंस मीडिया पूरी तरह एकजुट होकर खुशी माना रही है ,इन्हें महाराष्ट्र की घटना से कोई लेना देना नहीं है ,

अमरीकी राष्ट्रपति का चुनाव इनकी प्राथमिकता बनी हुई है  । अर्णब आज नहीं तो कल छूट जाएगा ,क्योंकि देश में पुलिस के बाद एक सशक्त न्यायपालिका मौजूद है ।लेकिन कल दिन जब किसी अन्य घराने के पत्रकार के साथ कोई घटना घटित होती है, तो क्या आज जिस तरह देशवासी पटना से लेकर दिल्ली और कश्मीर से कन्याकुमारी तक अर्णब के लिए एकजुट होकर महाराष्ट्र सरकार के द्वारा कि गई करवाई के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे है वो आप के लिए इसी तरह एकजुट होंगे ,मेरे विचार से कदापि नहीं ।

क्योंकि आप ने उसके लिए अपना रास्ता अभी से बंद कर लिया है ।एक मजबूत लोकतंत्र के लिए लोकतंत्र के चौथे खंभे का भी मजबूत होना आवश्यक है । आपसी लड़ाई में आज तथाकथित प्रबुद्ध पत्रकार ही इसको कमजोर करने में जुटे हुए है ,जो कि ना सिर्फ मीडिया संस्थानों बल्कि पत्रकारों के  भविष्य के लिए भी खतरनाक है ।  

सत्ता की हनक में मदमस्त हाथी की तरह महाराष्ट्र सरकार ने घोंटा चौथे खंभे का गला

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