किशनगंज/इरफान
पोठिया प्रखंड अन्तर्गत चीन से बदनाम हुए चमगादड़ों को देखते ही आज कल लोंगो को कोरोना का भय सताने लगता है। क्योंकि चीन से फैले कोरोना का कारण चमगादड़ बताया जा रहा है।यही स्तिथि इन दिनों प्रखंड क्षेत्र के कस्वकलियागंज पंचायत स्थित कोवाबाड़ी तथा सेठाबाड़ी में गांव के लोगों की है। गांव से सटे एक शिमल के पेड़ पर सैकड़ों चमगादड़ लटक रहे हैं।
जिससे लोग काफी डरे सहमे रहते है। लोग शिमल पेड़ के निकट जाना ही छोड़ दिये है।हलांकि टीएमबीयू पीजी जूलॉजी के डा0 डीएन चौधरी ने बताया की जब तक ये चमगादड़ संकर्मित नहीं होते तब तक मनुष्य को इससे कोई खतरा नहीं है। अभी कोरोना काल मे यदि ये जीवित है, तो समझें ये संक्रमित नहीं है।
संक्रमित होने पर ये चमगादड़ उसी पेड़ के नीचे मरकर गिरे रहेंगे जिस पेड़ पर वो लटक रहे होते है।उन्होंने बताया की इंडियन फ्रूट बेड्स चमगादड़ कोरोना वाहक नही है।ये तब वाहक हो सकते हैं जब कोई कोरोना से संक्रमित ब्यक्ति इनके सम्पर्क में आए। लेकिन इससे दूरी जरूर बनाये रखें इसे बेवजह मारे या दूसरे जगह भगाए नही।
श्री चौधरी ने बताया कि ये ईको फ्रेण्डली चमगादड़ है,ओर पौधों के परागण में सहयोगी है। इसका आहार फल है ओर पौधों में परागण में उपयोगी है। ये किट भक्षी चमगादड़ से अलग है। ये काटते भी नहीं है।