पॉलिटिकल डेस्क/ पटना
मीडिया में बयान देकर सुर्खियां बटोरना और बुरी तरह घिरने पर अपने बयानों से पलटी मारना नेताओं का शगल बन गया है। ताजा मामला फुलपरास ( मधुबनी) के पूर्व विधायक देवनाथ यादव का है।
क्या है मामला
इसी बीच में फुलपरास के जदयू विधायक गुलजार देवी के पति सह पूर्व विधायक देवनाथ यादव ने जदयू कार्यालय मधेपुर में प्रेसवार्ता के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि प्रशासन द्वारा दीवार जोड़कर रास्ता बंद करने की कार्रवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर की गई है। पीड़ित द्वारा रास्ता खुलवाने की मांग को लेकर पटना तक के अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया गया।

लेकिन नीतीश कुमार व्यक्ति विशेष के स्वार्थ सिद्धि के कारण पीड़ित का रास्ता खुलवाने में बाधक बन बैठे हैं। यादव के इस बयान के बाद जमीन से जुड़े जदयू कार्यकर्ताओं ने आक्रोश का इजहार किया था। पता नहीं कहां से दबाव पड़ा कि देवनाथ ने नीतीश चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार उनकी पार्टी के नेता हैं। इतना ज्ञान है कि क्या बयान दूंगा और उनसे मेरी क्या अपेक्षाएं पूरी हो सकती हैं । हालांकि साथ में यह भी कहा कि कभी टिकट के लिए गणेश परिक्रमा करने का काम नहीं किया हूं और ना ही करुंगा। जदयू से जुड़े स्थानीय दो नेताओं के खिलाफ भी वे बोले।
डॉ राधे श्याम यादव की सक्रियता से देवनाथ यादव भयभीत

बहरहाल, पार्टी के कार्यकर्ता कहते हैं कि यादव द्वारा बयान देने के बाद शीर्ष नेतृत्व द्वारा कार्रवाई की डर से उन्होंने ताजा बयान दिया है। पार्टी के कार्यकर्ता बताते हैं कि देवनाथ यादव अहंकार से भर गए हैं। एक कार्यकर्ता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वे अंदर ही अंदर राजद में टिकट की सेटिंग में लगे हुए हैं। उक्त कार्यकर्ता ने बताया कि डॉक्टर साहब ( डॉ राधे श्याम यादव) की सक्रियता से भी देवनाथ यादव भयभीत हैं।
यह अलग बात है कि वे किसी को चेहरे पढ़ने नहीं दे रहे हैं। उन्हें यह मालूम हो गया कि इस बार डॉक्टर साहेब ही यहां से तीर चलाएंगे। टिकट के लिए गणेश परिक्रमा नहीं करने की बात पर पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि बयान देकर पलटी मारना गणेश परिक्रमा नहीं तो और क्या है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि देवनाथ यादव के मुंह से शिक्षा की बातें शोभा नहीं देती, संपूर्ण मिथिलांचल के लोग उनके इतिहास-भूगोल से वाकिफ हैं। कुल मिलाकर क्या होगा यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा लेकिन यह साफ है सीएम के विरोध में बयान देने के बाद से वे बुरी तरह राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गए हैं। जमीन से जुड़े जदयू कार्यकर्ता अब यह कहने लगे हैं कि देवनाथ तो गयो…।