आक्रमक राष्ट्रवाद

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राजेश दुबे

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी एक बार फिर सोशल मीडिया से लेकर अखबार के पन्नों एवं टीवी चैनल तक सुर्खियों में है । श्री अंसारी हालाकि अभी किसी संवैधानिक पद पर नहीं है ,लेकिन जिस तरह का बयान वो देते रहे है उसे एक लोकतांत्रिक देश में उचित नहीं ठहराया जा सकता ।

इस बार श्री अंसारी ने एक समारोह के दौरान कोरोना महामारी की तुलना राष्ट्रवाद से करके एक नई बहस को जन्म दे दिया है ।किसी भी देश के प्रगति में राष्ट्रवाद की एक अहम भूमिका होती है ।राष्ट्र के नागरिकों कि राष्ट्र के प्रति निष्ठा ही उस राष्ट्र को आगे ले जाती है ।नागरिक अपने देश के नियमो ,राष्ट्र की अखंडता के प्रति सजग रहें यह सिर्फ सत्ता पर आसीन शासक का मात्र कर्तव्य नहीं होता ,बल्कि उस राष्ट्र के सभी नागरिकों की भी जवाबदेही होती है ।

ताकि देश ना सिर्फ बाह्य आक्रमणों से बल्कि अंदरुनी दुश्मनों से भी सुरक्षित रहे । श्री अंसारी ने आज अगर आक्रमक राष्ट्रवाद पर चिंता व्यक्त किया है तो इसके पीछे के कारणों को भी समझने की जरूरत है । श्री अंसारी पूर्व में वन्देमातरम गीत के गायन पर भी टिप्पणी कर चुके है ।राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान हमारे देश की प्राण है ,लेकिन हामिद अंसारी को इनका गायन फिजूल लगता है और अब हामिद अंसारी के मुताबिक, भारतीय समाज कोरोना वायरस संकट से पहले ही दो अन्य महामारियों – ‘धार्मिक कट्टरता’ और ‘आक्रामक राष्ट्रवाद’ का शिकार हो चुका है।

शायद हामिद अंसारी ये नहीं जानते कि जो राष्ट्रवादी होगा वहीं मानवतावादी होगा ,एक राष्ट्रवादी व्यक्ति ना सिर्फ अपने देश से बल्कि देश के सभी नागरिकों से प्रेम करता है और देश के दुश्मनों के खिलाफ आक्रमक होता है और शायद यही दुख हामिद अंसारी को सताने लगा है देश का बच्चा बच्चा अब राष्ट्रवाद को जीता है । 2014 से पूर्व के भारत को जब हम देखेंगे तो खुलेआम गली ,चौक चौराहों पर हिंदुस्तान विरोधी नारे लगाए जाते थे, और सत्ता पर आसीन सरकार वोट बैंक की राजनीति के कारण  मूकदर्शक होकर देखती थी ,लेकिन अब देश में एक जागृति आई है, देश के नागरिक अपने कर्तव्य को समझते है ,जिस वजह से देश विरोधी ताकतों में भय का माहौल बना है और कुछ लिखने बोलने से पहले वो इस बात का ध्यान रखते है कि बोलने के बाद कहीं इसका खामियाजा उन्हें ना उठाना पड़े ।

देश विरोधी लेखो और टिप्पणियों के कारण कई तथाकथित बड़ी हस्तियों पर एफआईआर दर्ज करवाया गया जो कि हामिद अंसारी को आक्रमक राष्ट्रवाद लगता है ,जबकि ये नागरिक का कर्तव्य था और ऐसा पहले होना चाहिए था जो कि अब हो रहा है तो हामिद अंसारी जैसे लोग जिन्हें बहुसंख्यक आबादी की मुलभवना का भी आज तक ध्यान नहीं रहा उन्हें आक्रमता तो नजर आएगा ही ।

आजादी के बाद ही जिस कार्य को होना चाहिए था वो अब हो रहा है ऐसे में अगर कट्टरता नजर आती है तो इसमें हामिद अंसारी की गलती नहीं है बल्कि दशकों तक शासन करने वाले उन शासकों की गलती है कि देश के नागरिकों को राष्ट्रवादी नहीं बना सके ।   कोरोना महामारी  का वैक्सीन आज नहीं तो कल निकल जाएगा और यह बीमारी भी समाप्त हो जाएगी ,लेकिन अगर हम अपने राष्ट्र की एकता और अखंडता के प्रति जागरूक नहीं हुए तो राष्ट्रविरोधी ताकते सर उठाती रहेंगी और राष्ट्र विरिधियो को उन्हीं की भाषा में जबाव देना आक्रमकता नहीं बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य होता है ,जिसे देश के 130 करोड़ आबादी को समझने की जरूरत है ।रही बात धार्मिक कट्टरता की तो हामिद अंसारी खुद अपनी कट्टरता को रामलीला के दौरान भगवान श्री राम की आरती ना करके प्रदर्शित कर चुके है , इसलिए  किसी पर उंगली उठाने से पहले उन्हें खुद अपनी कट्टरता का त्याग करना चाहिए ।

फोटो :साभार

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